सिन्दूर ने बस तन बांध रक्खा है
मन को बांधने में
अब भी मन की डोर ही चाहिए थी ..!!-
उम्र प्रौढ
वय्क्तित्व प्रखर
चेहरा ओजस्वी
परन्तु
माथे पर रत्ती भर लालिमा दूंढ्ता समाज
जैसे की उसके जीवित होने का भी परिचायक वही है
वो ही
चुटकी भर "सिन्दूर"-
नदी. का किनारा. हो , साथ तुम्हारा हो
प्रकृति का दिलकश हमारे साथ नजारा हो
जुगनू. के साथ तारों का साथ निराला हो
हल्के से रखा मेरी कमर में हाथ तुम्हारा हो
हाथों में हाथों और तेरे लबों पे नाम हमारा हो
मेरे प्यार को तुमने कबूल कर डाला हो
काश ऐसा वक्त भी आए की मांग मेरी और सिंदूर तुम्हारा हो
सात. जन्मों के लिए मुझको मिला साथ तुम्हारा हो
कुछ इस तरह मुकम्मल यह प्यार हमारा हो !!!-
यह चूड़ियां जो खनकें, यह बिंदिया मेरी, देखो, कैसे है चमके
तेरे प्यार की निशानी, ओ साजन, दिल देख मेरा, कैसे धड़के
माँग मेरी, तू जो भरता है, चाँद सितारों की तरह, लगती है जैसे
तेरे प्यार पे न्यौछावर, ओ साजन, दिल अपना, करती हूँ मैं ऐसे
🎶 यह चूड़ियां जो खनकें, यह बिंदिया मेरी... 🎶
🎸🎶
मेहंदी से लिखा है, तेरा नाम, जो इन, हाथों की लकीरों पर
गुलाब सी खिली है, मेहंदी ओ साजन, इश्क की तहरीरों पर
तेरा प्यार बसा है, इसके रंग में, ओ साजन, देख खिल जाती हूँ
तुमसे ही, है यह मेरा जहाँ, ओ साजन, यह सोच इतराती हूँ
🎶 यह चूड़ियां जो खनकें, यह बिंदिया मेरी... 🎶
🎸🎶
तुम साथ हो तो, खुशियों की, इस बारिश में, भीगती रहती हूँ
हर पल, तेरे प्यार की, इन बूँदों को, आँचल में, समेटती रहती हूँ
बातें यूँ करते, संग तेरे, इन मस्त हवाओं में, तुम्हें देखती रहती हूँ
यूँ चलते चलते साथ, पकड़े यूँ तेरा हाथ, तेरी ऊँगलीयों से, खेलती रहती हूँ
🎶 यह चूड़ियां जो खनकें, यह बिंदिया मेरी... 🎶
🎸🎶
हर दिन माँगती हूँ, मैं ये दुआ, पूजा अर्चना हो, या कोई व्रत मेरा
हाँ तुमसे ही, ज़िन्दगी में, त्यौहारों सा ये मौसम, बना रहे मेरा
तेरे ही रंग में, अब मैं हूँ रंगी, तेरे ही साथ से, यह जहाँ, हसीं है मेरा
तू ही, सिन्दूर माँग का, तू ही, हार गले का, तू ही, है श्रृंगार मेरा
🎶 यह चूड़ियां जो खनकें, यह बिंदिया मेरी... 🎶
Sun💕L ⭐An🎵Prerna🖋️⭐-
बहुत दिनों से हुई नही बरसात होने दो
ले लो न अपनी बाहों में प्यार का एहसास होने दो!
मेरे होंठो पर रख अपने होठों को
हमे शर्म से फिर लाल होने दो!
छुपा रखी है मोहब्बत तुमने कितनी
लाओ अपने लबों पर इजहार होने दो!
हमें मिल गई तेरी मोहब्बत कुछ इस
तरह हमें खुद पर गुमान होने दो !
तू है ज़िन्दगी हमारी और हम तुम्हारे
सात फेरों के साथ मोहब्बत मुकमल होने दो!
न आये कभी दूरी हमारे. दरमियाँ
नये जीवन की शुरुआत होने दो !-
मेरे प्रेम में विलीन हो कर
तुमने जितने भी प्रेम पत्र लिखें थे!
उन पत्रों को,
तुम्हारी बेवफ़ाई कि,
एक तिल ने,
जला कर....राख कर दिया हैं!
मैंने बहुत कोशिश की,
पत्र और हमारे रिश्तें,
दोनों को बचाने की....
खैर....
मैं हमारे रिश्तें को तो नहीं बचा पाई...
पर पत्र के भस्म को,
बखूबी संभालकर रखा हैं!
और रोज़ इस भस्म रूपी सिंदूर को,
अपने माथे पर सजाती हूँ!
तुम्हारी दीर्घ आयु की कामना करते हुएे....-
एक लड़की अपने साथी से क्या चाहती है
बहुत कुछ नही बस थोड़ी सी परवाह और प्यार चाहती है!
उसके वक़्त में थोड़ा सा हक़ और साथ चाहती है
दो पल उसके साथ ज़िन्दगी मुस्कुराना चाहती है !
नही चाहिए होती उसको दौलत जमाने भर की
वो तो उसके प्यार पर बस पूरा अपना हक चाहती है!
प्यार क्या है इसको समझना इतना भी मुश्किल नही
वो प्यार के नाम का सिंदूर अपनी मांग में सजाना चाहती हैं!!-
कोरे काग़ज़ पर
स्याही छिड़कना
जैसे..
किसी कुंवारी युवती
के मांग में...
सिंदूर बिखेरना
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उदास प्रेमी अक्सर...
पन्नों को अपनी संगिनी मान लेते हैं!-
बंधन सात फेरों का नही , दिल का दिल से होता है
कितना खुश नसीब वो प्यार होता है , जिसके
मांग में सिंदूर उसके प्यार के नाम का होता है!-