तुझे निहारते थकी इन आंखों को विश्राम देना है
तेरी जुल्फे संवारते थके हाथो को आराम देना है
इस खेल में तुझसे बेहतरीन शायद ही कोई होगा
एक बार मिलना जान तेरी बेवफाई का इनाम देना है-
मुझे नज़र भर देख लेने को मन उसका भी तो तरसता है
अचानक देख लेने से दिल उसका जोरो से धड़कता है
में रोक देता हु अक्सर जब दुपट्टा उसका सीने से सरकता है
वो बोली सब खत्म करो तुम्हारी caste मेरे लेवल की नही
हुह... आज मेरा महबूब उसकी आखो में खटकता है-
हमारे लिए ही इकरार था या थोड़ी उनकी भी इबादत थी
सिर्फ मेरा ही प्यार था या थोड़ी उनके लिए भी शिद्धत थी
करो या मरो के वक्त उनकी जुबान तक ना खुली
ओर वो कहते है ये उनकी बेइंतेहा मोहब्बत थी।-
ना तो मुझे अपनो को खोना है
न अश्को से पलको को भिगोना है
मुझे हर रात चैन की नींद सोना है
सेकड़ो ज़िन्दगी बचाने का यही एक तरीका है
तो हा stay away मुझे कोरोना है-
" इश्क़ "
क्या कोई मुझे इश्क़ का मतलब बता सकता है,
क्या फ़लसफ़े हैं इसके क्या फ़साने हैं,
कोई कहता है कि साथ निभाना इश्क़ है,
तो कोई कहता है साथ मे हर हद से गुज़र जाना इश्क़ है
कोई कुछ कहता है और कोई कुछ कहता है,
लेकिन मेरे हिसाब से इश्क़ एक अलग भाव है
जहां किसी बंदिश या नुमाइश की ज़रूरत नहीं पड़ती,
क्योंकि इश्क़, प्रेम या प्यार सबके मायने एक हैं - ‛स्वतंत्रता’
जहां दोनो के मन के भाव स्वतंत्र हो,
इच्छाएं स्वतंत्र हो,
विचार स्वतंत्र हो,
किंतु अगर कोई कहे साथ निभाना इश्क़ है,
तो साथ कोई व्यक्ति मजबूरी में निभाता है,
और कोई डर और दवाब से भी निभाता है,
इसलिये प्रेम स्वतंत्रता है
और स्वतंत्रता ही प्रेम हो सकता है|-