रवि कुमार   (Ravi kumar)
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Joined 17 January 2020


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Joined 17 January 2020
12 MAR 2024 AT 10:29

कितना खूबसूरत होता है वो पल,
जब तुम अकेला महसूस कर रहे हों,
तब अपने पसंदीदा इंसान को याद करना,
और आधी रात में उसकी तस्वीरों को देखना-
या यूँ कहूँ उन्हें निहारना,
जैसे वो तुम्हारे सामने बैठी हो,
वो भी एकदम सजीव,
जिसे देख बस मन करे उसे निहारते रहने का ,
उससे अपने मन की ढेर सारी बातें कहने का ,
जिन्हें तुम सीने में ना जाने कब से दबाये बैठे हो,
मन को बहुत सुकून देता है ऐसा मनोरम अहसास,
जिसमें ये महसूस ही नहीं होता की आप अकेले हो,
बल्कि उस एक पल में वो सारी मुलाकातें याद आती है,
जो कभी हमने साथ में बिताई थी एक साथ बैठकर,
इसलिए कभी-कभी अच्छा लगता है,
ये अकेलापन जो मुझे तुमसे रूबरू कराता है,
जो मुझे अहसास दिलाता है हमारे निष्पक्ष प्रेम का,
जिसे हमने कभी सामने नहीं आने दिया अपने रिश्ते के बीच में,
क्योंकि अस्वीकार्य है मुझे तुम्हारा मुझसे दूर होना,
ना मेरे अकेलेपन में और मेरे जीवन से,
इसलिए स्वीकार्य है मुझे ये मेरा अकेलापन,
सिर्फ और सिर्फ मेरा अकेलापन।
#रवि-की-कलम-से #

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10 MAR 2024 AT 13:16

आज कुछ लिखना चाहता हूँ,
पर समझ नहीं आ रहा कैसे लिखू,
कुछ बोलना चाहता हूँ,
पर समझ नहीं आ रहा कैसे बोलू,
कुछ समझाना चाहता हूँ,
पर समझ नहीं आ रहा कैसे समझाऊं,
दिल कुछ सुनाना चाहता है,
पर समझ नहीं आता कैसे सुनाऊँ,
कुछ है जो सीने में धंसा जा रहा है,
पर समझ नहीं आ रहा है की क्या है?
और कैसे निकालू उसे,
तुम कुछ बताओ ना,
कुछ समझाओ मुझे,
और इस दिल और दिमाग़ को भी,
की अब वक़्त थम रहा है,
सांसे रुक रहीं हैं,
और सब खत्म हो रहा है,
सिवाए एक चीज के-
और वो है हमारा-
वजूद!!!
जिसकी तलाश में हम निकले थे,
ना जाने कितनी दूर,
जिसे हमने हर जगह खोजा,
ना जाने कहाँ-कहाँ,
जिसे पाने के चक्कर में,
ना जाने कितनी बार,
खुद को और तो और,
अपनी अंतरात्मा को भी,
नहीं पता चलने दिया,
क्योंकि..........
मैं चाहता था-
उसे समझना,
ना की उसे पाना!
क्योंकि पाने और समझने में,
फर्क है अपने दृष्टिकोण का,
जो तुम्हें बताता है,
तुम्हारे जीवन के अस्तित्व की-
अंतरव्यथा को,
क्या वास्तव में उचित है?
अपने अस्तित्व को पाना?
या उसे समझना?

#रवि-की-कलम-से #

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5 JUN 2023 AT 13:01

बहुत कोशिश की हमनें की फुर्सत निकाल कर,
आपके पास बैठने की,
आपसे बातें करने की,
आपकी झील सी प्यारी आँखों में खोने की,
आपकी झुल्फों से खेलने की,
आपके नरम नरम होठों को चूमने की,
आपके हाथों में हाथ डालकर घूमने की,
आपको आलिंगन में भरने की,
कुछ आपकी सुनने की,
कुछ हमारी सुनाने की,
पर कम्भख्त ये दिल है की,
जब भी आपसे मिलता है,
बस खो जाता है आपकी आँखों में,
फिर कुछ और करने का सब ख़्याल ये भूल जाता है,
और रह जाती है बस कोशिश,
दुबारा आप में खोने की,
आपको पा लेने की,
आपका होने की,
आप को अपना बनाने की।

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28 APR 2023 AT 14:10

बहुत कोशिश की मैंने सबको ख़ुश रखने का हुनर सीखने की,
लेकिन एक चेहरे में मैंने कई नये चेहरे है पाए।

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11 APR 2023 AT 17:22

तमन्नाओं का काफ़िला तो हम भी लिए बैठे है,
अरे साहिल पर मंजिल-ऐ-दस्तान तो बता।

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24 MAR 2023 AT 20:27

कभी टूटी है क्या आधी रात में नींद आपकी!
क्या हुआ है आपका मन भी विचलित,
अपनी जिम्मेदारियों को लेकर,
घर, परिवार,करियर,भविष्य या अपने आप को लेकर कभी रात में बेचैन हुए आप भी,
कभी महसूस किया है आपने,
कि कितना कठिन है इस समय अपने आप को समझना,
जहाँ आप अपने आप को व्यक्त नहीं कर पाते,
समझ नहीं पाते,समझा नहीं पाते,
सोच और समझ के एक गर्त में खुद को डूबते हुए पाते है,
जहाँ से निकलने या निजात पाने के लिए,
आप फ़िर एक नयी सोच में डूब जाते है,
और फ़िर आप महसूस करते है,
कि क्या यही हमारा अस्तित्व है या इसी तरह के अस्तित्व के लिए ये जीवन है!
या इससे बेहतर हो कुछ हो सकता है,
या इसे बेहतर बनाया जा सकता है,
क्योंकि अस्तित्व को समझना या समझाना कुछ पलों में संभव नहीं है,
ये एक संघर्ष है सम्पूर्ण जीवन का।

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2 MAR 2023 AT 23:07

इश्क़ बेइंतहा करते है तुमसे,
जितना तुमने सोचा ना होगा,
उतना इश्क़ करते है तुमसे,
कभी ख़्वाबों तो कभी हकीकत में करते,
हर एक पल हर एक धड़कन में करते है,
फ़िर भी ना जाने क्यों इजहार से डरते है,
इजहार करे भी तो किस हक से करे,
न अदब है ना तहजीब है,
बस बेइंतहा इश्क़ जो करते है तुमसे।

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21 DEC 2022 AT 10:25

आज फिर मैंने अपनी कलम को पकड़ा,
लेकिन उसने मेरा हाथ झटक दिया,
और कहा-
खुद को जिंदा करना पड़ेगा फिर से,
मुझे संभालने के लिए।

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21 DEC 2022 AT 10:21

मंजिल की तलाश में साहिल बन चल पड़ा हूँ मैं
जबकि मेरी मंजिल का हर रास्ता तुमसें है,
कभी दरिया में नाव बनकर तो कभी तपते रेगिस्तान में पानी बनकर,
कभी बारिश में छाता बनकर तो कभी धूप में छाओं बनकर,
कभी दुःख में साथी बनकर तो कभी खुशी में हमसफर बनकर,
की मेरी हर मंजिल का होना ही तुमसें है।

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18 NOV 2022 AT 22:46

ज़िंदगी अगर हसीन ना तो,
तो उसे हसीन बनाया जा सकता है,
लाख गमों को भी एक मुस्कुराहट से छुपाया जा सकता है,
फलसफ़े तो बदल सकते है ज़िंदगी के हर मोड़ पर,
लेकिन बीते पलों को कहाँ भुलाया जा सकता है,
कहते है की चार दिन की होती है ज़िंदगी,
किंतु जीने वाला चार दिन में ही पूरी ज़िंदगी को जी जाता है।

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