ਬਿਸਤਰੇ ਵਿੱਚ ਲੇਟ ਕੇ ਕੀਤੇ ਵਾਰ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਪੋਰਸ ਜਾ ਸਿੰਕਦਰ ਨਹੀ ਬਣਾ ਸਕਦੇ।
-
Humse Na Takrana Koi Chin Ho Ya Japan.
America Ho Russia Ho ya Ho Wo Pakistan.
Bharat Se Takrana Koi Khel Nahi Aasan.
Ye Porus Ka Desh Hai Ise Kahte HINDUSTAN
-
कहानी पोरव राष्ट्र की : भाग-3
बीस वर्षों तक संताप सहा था पोरव राजकुमार ने ।
औहदा खोकर के अपना त्याग किया संसार में।।
समय चक्र की धुरी का मार्ग एक अनौखा था।
फारसियों को मार भगाने का सुनहरा मौका था।।
पोरस के एक आह्वान पर जनता नें हुंकार भरी।
खड़ग-फ़रसा-चाकू-भाला संग सेना के साथ खड़ी।।
झेलम के तट पर जाकर फारसियों को ललकारा।
भारत माँ के दुश्मनों को इस धरती से दुत्कारा।।
शत्रुओं के चंगुल से स्वर्ण पंखों को मुक्त किया।
आर्यावर्त की पावन धरा को फिर से आहूत किया।।
उन लुटेरों के खूनी सपनों पर पोरस की तलवार चली।
माँ झेलम के समर घाट पर शत्रु दल की चिता जली ।।-
कहानी पोरव राष्ट्र की भाग-6
(झेलम का महा युद्ध)
एक यूनानी यौद्धा ने बीज हिंसा का बोया था।
शक्तिमद में विश्वविजेता बनने का ख्वाब संजोया था।।
तबाह करके अरब आज का ईरान फतह कर डाला।
अफगान पार करके उसने सिंधु किनारे डेरा डाला।।
जब हिंदू शेरों की हस्ती सेना चिंघाड़े इस रण में।
सिकंदर के घोड़ों का दल हवा हुआ इक पल में।।
पोरस की समसिरों ने मुकदर लिखा सिकंदर का।
सौ-सौ यवनियों पर भारी था एक-एक यौद्धा भारत का।।
झेलम के इस युद्ध में लाल हुआ तटनी का पानी।
पोरस से टकराकर उसका ठीक हुआ दिमाक शैतानी ।।
भारत के इतिहास में समर जो अमर कहानी जोड़ गया।
अरे संसार जीतकर आया था वो खाली हाथ लौट गया।।-
कहानी पोरव राष्ट्र की : भाग-1
भारत राष्ट्र बंटा हुआ था छोटे छोटे खंडों में।
इस धरा पर रिपु बने थे अपने अपने झंडों से ।।
एक प्रांत पोरव बमनी जंहा सम्राट हुआ था ।
तक्षशिला का गौरव हिंदकुश तक फैला था ।।
एक राष्ट्र का सपना देखा अनुसूया महारानी ने।
रिपु दमन करने चाहे अपनी प्रेम कहानी से ।।
ना मिटा बैर झेलम के लाल लड़ रहे थे।
इस शत्रुता में नागफनी के पौधे पनप रहे थे ।।
भारत पर टिकी थी फारस की खूनी आँखे ।
बमनी के घर से भी गद्दारी का दामन झांके ।।
अनुसूया थी गर्भवती झेलम ने आसरा दिया।
भारत के बेटे पोरस को अनुसूया ने जन्म दिया।।-