नजर और नसीब का रिश्ता भी
बहुत अजीब होता हैं,
नजर को भी वही पसन्द आता हैं
जो हमारे नसीब में नहीं होता.
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15 APR 2022 AT 14:20
23 JUL 2021 AT 9:56
कहा दिखेंगे जब घाव जज्बातों को लगी है
समझ कर भी नसमझ बनने मे क्यूँ लगी है
नहीं हों रहा तो क्यूँ खुद से हाँ कहने मे लगी है
भूल गयी हो हमें तो याद क्यूँ करने में लगी है-
29 JUL 2021 AT 9:24
आज लिख ही गया होता वो मेरी रूह के पन्नो पर
वो शख्स जो माना नहीं था मेरे लाख मनाने पर
खुदा आज लिख रहा था इश्क़ के पन्ने मेरी हालत देखने पर
मैं हाथ पकड़ कर रोक दिया उसे किसी और की बाहों में देखने पर
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