Hr drd ko likh rhe h hum us kitab pr
Jo khud hi rangi hui h kisi or k khaab pr-
#Naseeb_ka_likha
Yuh kyu kr rhi ho hm pr yeh sitam
Kyu yad or bt krti ho na aj bhi tum
Dikha rhi ho haseen khaab hme or
krbat bdlte huye nam leti ho uska tum-
उसकी याद हर लम्हा जीना भुला देती है,
हद से ज्यादा प्यार भी अक्सर रुला देती है।।
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तुम्हारी आदत हो गयी है जिस्मानी नही रूहानी हो गयी है
झूठ की पट्टी चड़ाते जा रहे हो आँखों पर ये बेईमानी हो गयी है
अब सच को जानने और झूठ को पहचाने से नफरत हो गयी है
झूठ और सच के बीच ही सही पर ये मोहब्बत की कहानी हो गयी है
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हाँ गिले भी और शिकायते भी है तुमसे कई,
तुमसे अब दोस्ती रखने की चाह नही है कहीं;
दुआ की है मैंने तेरे जल्द सही होने की कई,
तु बुरे हालात मे पकडे खडा था हाथ कहीं;;
ये भूलने की कोशिशें की है मैने मर्दवा कई,
लेकिन हाथ तेरा भी था बर्बाद करने मे कही;
समझ रहा हु मजबूर तु भी थी रिश्तों मे कई,
दुआ हैं तेरा दर्द हो दफन इन हवाओ मे कहीं ;::-
हमे अपनी रूह बताते हो और फिर खुद ही मार जाते हो
यूँ बात बात पर बेवजह झूठी कसमे क्यूँ खा जाते हो
पर सच जानती हूँ मै कही और भी इश्क़ लडाने जाते हो
क्या कहोगे झूठ और सच पर तुम हमें रोज यूँ ही मार जाते हो-
आज लिख ही गया होता वो मेरी रूह के पन्नो पर
वो शख्स जो माना नहीं था मेरे लाख मनाने पर
खुदा आज लिख रहा था इश्क़ के पन्ने मेरी हालत देखने पर
मैं हाथ पकड़ कर रोक दिया उसे किसी और की बाहों में देखने पर
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डर है की कहीं ये काफ्लै मेरी तरह तेरे आशिक़ न हो जाए
तु नजर अंदाज़ न कर दे यूँ कि वो भी अश्कों मे न बह जाए
तु मशहूर हो ही जायेगी अन्दाजो से इस पर क्या बहस की जाए
सुना हैं तु रकीब की पतंग काट दी बता अब तेरी क्या बात की जाएं-
कहा दिखेंगे जब घाव जज्बातों को लगी है
समझ कर भी नसमझ बनने मे क्यूँ लगी है
नहीं हों रहा तो क्यूँ खुद से हाँ कहने मे लगी है
भूल गयी हो हमें तो याद क्यूँ करने में लगी है-
तुम तो मुझे इन अपनी मेहफिलो में बदनाम करने की चाहत रखते हो
ये तेरी मेहफिल के लोग ही तेरा नाम शायरी मे देखने की चाहत रखते है
अब तुम यूँ मत देखो जान रहा हू मैं तुम मुझे मनाने की चाहत रखते हो
मैं तो मान जाऊंगा पर इन लोगों का क्या करे जो तेरे दर पर मुझे देखने की चाहत रखते है-