......
-
।।जय श्री राम।।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः । परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थ मिदं शरीरम् ॥
भावार्थ : परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं अर्थात् यह शरीर भी परोपकार के लिए ही है।
।।वेद।।-
आयुषः क्षण एकोऽपि सर्वरत्नैर्न न लभ्यते।
नीयते स वृथा येन प्रमादः सुमहानहो ॥
भावार्थ :आयु का एक क्षण भी सारे रत्नों को देने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, अतः इसको व्यर्थ में नष्ट कर देना महान असावधानी है ।
🥀।।वेद।।🥀-
।।जय श्री राम।।
विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:।
परलोके धनं धर्म शीलं सर्वत्र वै धनम्॥
भावार्थ :विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील सर्वत्र ही धन है ।
।।वेद।।-
।।जय श्री राम।।
राम हिंद की मर्यादा राम हिंद के प्राण है...!
भारत के कण-कण में व्याप्त वो मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम है...!!-
तुम सत्य, विजय, अविनाषी।
तुम तप, तीर्थ, कैलाश-काशी।।
तुम राम-ल्ल्ला, राजा, अयोध्यावासी।
तुम सत्य, धैर्य, संन्यासी।।
तुम चेतना, जड़ धर्म का अन्तर्यामी ।
तुम केंद्र, शून्य, अनन्तवासी।।
तुम दृश्य, दृष्टा, धर्म का पर्यायवाची।
प्रणाम स्वीकार करो जगत पालनहारी।।-
दानानां च समस्तानां चत्वार्येतानि भूतले ।
श्रेष्ठानि कन्यागोभूमिविद्या दानानि सर्वदा ॥
भावार्थ :सब दानों में कन्यादान, गोदान, भूमिदान, और विद्यादान सर्वश्रेष्ठ है ।
।।वेद।।-
तेरी मर्जी का मैं हूँ , गुलाम
मेरे अलबेले राम .....
अलबेले राम मेरे अलबेले राम ...
अलबेले राम मेरे अलबेले राम ...
अब जीना हुआ है , हराम
मेरे अलबेले राम .....
तेरी मर्जी का मैं हूँ , गुलाम
मेरे अलबेले राम .....
- पंडितआदित्यशुक्ला ' मानसप्रेमी '
-