झूठ का कोई चेहरा नहीं होता!
जिनसे उम्मीद ना हों वहीं झूठ बोलते है!!-
!!यत्र रामा भयं नात्र नास्ति तत्र पराभवं!!जय श्री राम!!❣️🙏
🇮🇳।।जननी ज... read more
काशी पहला प्रेम हैं!
जिसमें स्थायित्व भी हैं
और आस्था भी!
जिसमें समाधान भी है
और स्वर्ग का रास्ता भी!
काशी पहला प्रेम हैं!
जिसमें संस्कृति भी हैं
और उन्हें संजोए
रखने का सामर्थ भी!!
काशी पहला प्रेम हैं!!-
कभी-कभी हमसे गलतियां होतीं है!
अनजाने मे, न चाहते हुए भी!!
"गलतियां" स्वाभाविक है!
"सुधार" भी आवश्यक है!!-
भूल जाओ पुरानी बातें...!
हो जाओ थोड़ा विनम्र!!
एक बार बन जाओ मेरी काशी!
हों जाओ ना "गंगा" सी पावन जल!!-
न चाहते हुए भी याद आना!
काशी की उन गलियों मे साथ दोस्तों के!!
खेलते हुए उन खेल के मैदानो मे!
बस कुछ एक दोस्तों के साथ जो दो, तीन ही थें!!
नहीं मालूम समय गुज़र गया कैसे!
साथ होते थे उनके, औरों से अलग औरों की तरह कैसे?
बस बिता जो कल ओझल हुआ है!
याद आते हैं अब भी वहीं पल!!
साथ छुटा तो जाना!
वों कल अलग था!!
आज से आज-कल!-
सब बिखर जाएगा एक दिन पल भर मे!
सदियों को समेटने मे दिन नहीं लगते!!-
मेरे लिए सारे शुभ-अशुभ संकेत,
तुझी से होकर जाते हैं!
उन संकेतो के आधार पर,
प्रगति व प्रार्थना के भाव आते हैं!!-
आप कुछ अलग होने का भ्रम मत पालिए!
आपके पास भी वहीं है जो औरों के पास है!! 😄-
हमारी परिभाषाएं कितनी संकीर्ण होती हैं...
किसी के छोटे-बड़े होने मे हम उसका धन देखते हैं...
क्यूंकि उसके विचार हमारे लिए मायने नहीं रखते...
किसी की भावनाओं को समझने से पहले...
हम उसका रहन-सहन (पोशाक) देखते हैं...
हम जब भी देखते हैं किसी को खुद से
तुलनात्मक रूप मे ही देखते हैं...
हमारी परिभाषाएं कितनी संकीर्ण होती हैं...
हम किसी बच्चे को जिद करते हुए देखकर...
उसकी उम्र देखते हैं...
कभी-कभी सोचते है, हमे देखने के लिए...
आखिर हमारी दृष्टि बाधित क्यु हो जाती है...?
शायद हमे सोचना चाहिए हम चेतना के
उच्चतम स्तर पर पहुंचने की
बजाय गर्त में क्यु ही जा रहे हैं!!?-