खुद में ज्यादा मगरूर,...
मशरूफ न रहा करिए...
एक दिन यह सुनहरा...
वक्त भी ढल जाएगा...
जिंदगी के सफर में...
एक वो दौर भी आएगा...
जब जिस्म खाक होगा...
और आत्मा चेहरा बदल जाएगा...-
जो मगरूर हो अपने अल्फाजों पर,उन पर तरस खाओ यारों,
उन्हें क्या पता!यहां सब अपनी दिलों से अंगार लेकर लिखते हैं..,-
न है मेरी ज़िन्दगी में,
न महसूस मुझको होता है,
ये प्यार नाम का जंजाल,
बड़ा ही मगरूर मालूम होता है ....
देखा है लोगों को मैंने ,
जो इसमें शिरक़त देते हैं,
मशगूल होके मुहब्बत में,
दुनिया से इजाज़त लेते हैं....
ग़ालिबन मशहूर है ,
ये इश्क़ बड़ा मगरूर है.....-
Tere chehre k noor se ,
Hum ye smjh hi na paye ki,
Kitni magroor hai tu es chehre k noor se,-
मगरूरियत भरी पड़ी है मेरी शख्सियत में..
कभी आजमाने की कोशिश ना करना..
बस उस मगरूरियत को मुझ तक ही रहने देना..
कभी उसे अपने पे लाने की कोशिश ना करना...-
इश्क़ की हद जब तुम जानोंगे
मेरे इश़्क को तुम तब मानोंगे
करोंगे जिस दिन तुम भी वफ़ा
दर्द - ए - मज़ा तुम भी पाओंगे
अभी वक्त है जनाब मुस्कुरा लों
दर्द-ए-इश़्क क्या है तुम भी समझोंगे
दिल शीशा समझ जो तोड़ा है
इस में तेरा ही चेहरा था तुम भी मानोंगे
दिल खिलौना नहीं तुम्हें समझ आयेंगे
आँसुओं की कीमत तुम भी जान जाओंगे
इतने जो मगरूर हो हुस्न में चूर हो
जब होगी मोहब्बत तुम भी झुक जाओंगे
इश्क़ में जब धोखा,भारोसा को चूर पाओंगे
मोहब्बत दुबारा तुम भी ना कर पाओंगे
जानती हूँ Queen ये दर्द वो ना सह पायेंगे
मोहब्बत में धोखा दिया है धोखा ही खाऐंगे ।।।-
Kaise Zakhm Diye Hai Yeh Jahan
Ne Hume Kaise Woh Magroor Hai
Ulfat Unhe Humse Thi Par Iqraar
Karne Mein Unhe Kitna Guroor Hai
-
हमें मशरूफ खुद को खोने में करके,
वो अपनी कामयाबी पाकर मगरूर हो गए!-