नसीब लिखने का हक अगर
हर इंसान के हाथ में होता.....
तो इन हाथो में लिखा एक नाम
हर इंसान के हमसफ़र का भी होता।
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हाथ बढाते हुए पानी की तरफ़
आस ढूंढते पहुंचे पानी की तरफ
हर आंख पुकार रही थी चले आओ
आओ इन दरियाओं फानी की तरफ़
जीने का मसला आ खड़ा था सामने
आवाज़ आई इधर आसानी की तरफ़
तकाज़ा वक्त का था या इशारा कहिए
जीने निकले सो मा'आनी की तरफ़
जमीं में कई ठिकाने हुआ करते थे
खोज में लौटे हर निशानी की तरफ़
हाथ उधर से भी बढ़े और वो तो थे ही
मुहब्बत दो तरफ़ा बही रवानी की तरफ-
तन्हाई में अंजाम आ जाते हैं
आंसू शाम शाम तक आ जाते हैं
एक दुनिया जो बहुत अकेली है
हम तन्हा लोग काम आ जाते हैं
कानों को धोखा नहीं हुआ हमारे
सुनना जो चाहो वो नाम आ जाते हैं
दुनिया से आंखें मांगी नहीं कभी
नज़रिए बिन मांगे इनाम आ जाते हैं
यह रिश्ता लिखा कर आया होगा
अकेलेपन को किस्से तमाम आ जाते हैं-
मुझे लिखने का शौक तो नहीं है,
मगर मैं लिख लेती हुँ,
तुम मेरी शायरी को अपना तो बना लेते हो,
मगर एक बात याद रखना,
मेरी फरामोश मोहब्बत से बेहतर है,
तुम्हारी अधूरी मोहब्बत💔-
की आँखों में जो,
काजल सजी हैं,
मैंने आंसू कि हक़ छीनकर,
मैंने वो पल तुझे,
दे दिया हैं❤️-
मात खा जाता हूँ हर दफा शतरंज की बिसात पर,
खिलाफ अपनों के मुझे चाले चलना नहीं आती...-