तेरे इश्क के रंगों में कुछ यूं रंगी हूं,
की रंगों से दूर अब कहां जाएं।
दिन में तो तुम साथ थे समझ नहीं आता,
इस स्याही अंधियारी रात में,
तुमसे दूर कहां जाएं।
तुझे भुलाने में शायद अब एक उम्र लग जाएगी,
समझ नहीं आता तुझे भुलाने,
तेरे ख्यालों से दूर कहां जाएं।
जब तुम साथ थे महफिल में रौनक की तरह थे हम,
समझ नहीं आता अब महफिलों में,
अपने अकेलेपन को छिपाने कहां जाए।
अपना हर गम कभी तेरे साथ बाँटा था हमने,
अब समझ नहीं आता तेरे ना होने का गम,
बाँटने किसके पास और कहां जाएं।
Dishu Rastogi
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It took time,
but I understood
that walking along
is more important than
walking long.-
हर वक्त, हर पल बदल रहा हूं मैं,,
हर वादा, कसम, ख्वाइश बदल रहा हूं मैं,,
रोको मुझे, शहर हो रहा हूं मैं ।।
ढल रहा है सूरज, उग रहा हूं मैं ,,
सिमटता हूं कभी, कभी बिखर रहा हूं मैं,,
रोको मुझे, शहर हो रहा हूं मैं ।।
अपनों हिं अपनों की आग में जल रहा हूं मैं ,,
रोशन तोह हूं, पर अंधेरों में पल रहा हूं मैं,,
रोको मुझे, शहर हो रहा हूं मैं ।।-
//पाती//
मैं सहर का पहरेदार
एक रात यूँ टहलता हूँ ।
हर गूँजती तन्हाई में
मैं वक़्त को टटोलता हूँ ।
तू धड़क सी आ चुकी
मेरी रूह में आ बैठी है ।
तेरी चाँदनी के आग़ोश में
हर मोड़ को मैं तकता हूँ ।-
चल मान लिया तुझे कुछ याद नहीं,
जो तू भूल गया, वो मुझे भी याद नहीं,
सच कहो तेरे बाद किसी चाहा नहीं,
इश्क़ दुबारा हो भी जाए, पर वो बात नहीं
तू पास है, पर तेरे होने का अहसास नहीं,
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