देवकी, यशोदा की तरह, माँ बन, दुलारा है,
द्रोपदी की तरह, दोस्त बन, पुकारा है,
सुभद्रा की तरह बहन बन, राखी भी बाँधी,
रूक्मणी की तरह पत्नी बन, बनी उनकी साथी,
राधा की तरह प्रेमिका बन, चाहती भी हूँ,
मीरा की तरह जोगन बन, उन्हे अपना मानती भी हूँ,
कोई पूछे कि इस संसार में तेरा कौन है?
इस पर ये प्रेम पुजारिन, मुस्कुराकर मौन है ।-
कान्हा की चरणों की धूल भी मिल जाए
तो मुझसे ज्यादा भाग्यशाली कौन होगा🤗
जय श्री कृष्णा 🙏🏼🙏🏼
प्रेम से बोलो राधे कृष्णा 🙏🏼🙏🏼
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुकामनाएं 🙏🏼-
देखो आया है सावन मास सखी।
मेरे कान्हा के आने की आस सखी।।
कदंब की डाली पर झूला डालो,
फूलों लताओं से इसको संवारो,
अरे आया है दिन बड़ा खास सखी।
मेहंदी लगाओ री पायल पहनाओ,
सुंदर श्रृंगार से मुझको सजाओ,
होगा आज फिर महारास सखी।
फिर से कान्हा मुझको झुलाए,
बंसी की धुन पर सबको नचाए,
अरे नाचेंगे मिल सब साथ सखी।
रह रह कर मेघ बूंदा बरसें,
मोर पपीहा दादुर सब हरसें,
कब बुझेगी दर्शन की प्यास सखी।
चला गया था छोड़कर वह निर्मोही,
फिर से आकर कोई खबर भी न ली,
पाती से भी कोई ना बात सखी।
उमड़ घुमड़ कर आई है बदरिया,
श्याम की इसने भी लाई ना खबरिया,
जी हो रहा मेरा बेहाल सखी।
इस सावन तो आएगा वो,
मृदु मुस्कान दिखाएगा वो।
बंसी की धुन पे नचाएगा वो,
"श्रेया" हो जाएगी निहाल सखी।।-
कि थोडी तो खास हूँ मैं तुम्हारे लिए..
पर तुम तो मुझसे मिलने का एक बार भी नहीं सोचते..
जब भी मैं कहती हूँ तो बस बहाने..
सोचती थी कि कभी तो
तुम्हारा मन भी कहता होगा मुझसे मिलने को
पर ये शायद मेरा वहम ही है..
और मेरा होना या ना होना तुम्हारा वहम|
😔😔😔-
ना मीरा, ना मोहन की राधा बनूंगी,
ना उनके पथ की, मैं बाधा बनूंगी,
ना रुक्मिणी सा सौभाग्य, है प्राप्त मुझकों,
ना मुरली से कम, ना मुरली से ज्यादा बनूंगी...-
सुनो मेरे कृष्ण कन्हैया... मैं तो हूँ मीरा तुम्हारी💕
दुनिया कहती है मुझे बावरी, पर मैं तो हूँ तेरी प्रेम दीवानी
❤❤❤-
मुश्किल घड़ी में अपने
नहीं, जब काम आते हैं,
तब बचाने हर बला से,
मेरे घनश्याम आते हैं...-
कान्हा सुनों ना.....
तुमनें ही कहा था ना कि कभी
रोने का मन करे तो
याद कर लेना
सच्ची आज सैंकडों बार
रोने का मन किया
पर मेरा कान्हा मेरे साथ नहीं था
कहीं दूर दूर तक भी दिखाई नहीं दिया
😭😭😭😭😭😭😭
-kanhakibansuri-
कि प्रेम में भाव जताना जरूरी है क्या
बदले में प्रेम चाहना जरूरी है क्या
हमने मीरा को अकेले ही निश्चल प्रेम करते देखा है
कि प्रेम दोतरफा ही हो जरूरी है क्या-