When nobody was there to listen to my story,
I started writing and became part of yq glory.
Writing was my leisure activity,
But yq converted that into passion.
While some strangers became friends
And then friends became family.
Mark my words, because this is just a start
This app will grow and will top the chart.
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मेरी कोशिश है कि उनका नेक बेटा बन जाऊँ...
माँ की हिम्मत बनूँ, बाप का हौसला बन जाऊँ...
मेरा शौक है, किसी बेबस का हौसला बढ़ाना...
ज़रूरत पड़े तो काम भी आऊँ, कंधा बन जाऊँ...
मेरी ख़्वाहिश है, कि सब के दिलों पे राज़ करुँ...
कि लोग आएं जियारत को मैं मकबरा बन जाऊँ...
मेरा पेशा वही है, जो मेरी किस्मत में लिक्खा है...
तो ऐसे कैसे भला, किसी का आईना बन जाऊँ...
मेरी आदत सी पड़ गई है अब ग़म छुपाने की...
इस तरह मुस्कुराऊं की कोई लतीफा बन जाऊँ...
मेरा मकसद है, जाने के बाद मुझे सब याद करें...
जाऊँ तो, 'शाद' सबकी आँख का तारा बन जाऊँ...-
हिज्र के ग़म अब तक दिल में संभाल रखना...
मज़ाक न समझो बिछड़ने का मलाल रखना...
तुम्हारे ख़्याल से रखता हूँ मैं अपना ख़्याल...
मेरे ख़्याल से तुम भी अपना ख़्याल रखना...
रखना ही है तो लो, इसकी महक रख लो...
पर ये ज़िद अच्छी नहीं कि पूरा रुमाल रखना...
हूँ इक सवाल में जिसका आप ही जवाब हो...
तो क्यूँ मन में फ़िर अपने यहि सवाल रखना...
तुमने देखा ही होगा बादलो का मिलन 'शाद'...
तुम भी वैसे ही उसके गालों पे गाल रखना...-
आओ हम हैं मसरूफ, पर आओ तुम्हें क्या जरूरत है...
ग़र खोए पड़े हैं तुम्हारी याद में, तो ये भी तो मोहब्बत है...
पल रहे हैं ख़्वाब कुछ, सोचता हूँ सब मुकम्मल करूँ...
या छोड दूँ ये समझ कर कि जो मिलेगा वो किस्मत है...
दूर तो बहुत हूँ तुमसे, मगर दूरियाँ बिल्कुल नहीं...
हिज्र में भी कुर्बत है जानाँ, जाने केसी ये फुरक़त है...
क्या तो अब बेकरारी है, और क्या ही अब बेखुमारी है...
इस मोहब्बती सफ़र के हर पल इन्तेहाई खूबसूरत है...
इश्क हुआ है मुझको भी, जिस में तुम भी शामिल हो...
एक से ही हम दोनों, फ़िर क्यूँ तुमको मुझ पे हैरत है...-
ये जो भी आशिक बीमार नज़र आते हैं...
सब आपके हुस्न के इन्कार नज़र आते हैं...
मैं जब भी गुजरता हूँ आपकी गलियों से...
आप दरवाज़े पे खड़े तैय्यार नज़र आते हैं...
जाने कहां-कहां इश्क बांटती फिरती हो...
हर गली में तेरे हिस्सेदार नज़र आते हैं...
क्या मुझसे प्यार कर पाएगी वो लड़की...
जिसके बाप को हम बेकार नज़र आते हैं...
मैं चाँद से आशिकी कर के लौट आया...
सब सितारे अब बेक़रार नज़र आते हैं...
उम्र गुजारी है तुमसे मिलने ख़ातिर 'शाद'...
मुझसे शायद आप ना गवार नज़र आते हैं...-
❣️नज़्म❣️
~बाबा~
बाबा आपका बेटा अब समझदार सा हो गया है...
पर सब यही समझते हैं कि बेकार सा हो गया है...
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लगता है अभी नाकामियों के बादल छाए हुए हैं...
इसी लिए आप सब मेरे लिए बहुत घबराए हुए हैं...
पर एक दिन आएगा जब आपके सपने मशहूर होंगे...
यही बादल कामयाबी बनकर बरसने पर मजबूर होंगे...
जानता हूँ आपकी तरह जिम्मेदार बन ही नही सकता...
फ़िर भी ये बेटा जिम्मेदारियाँ निभाने को तैय्यार सा हो गया है...
बाबा आपका बेटा अब समझदार सा हो गया है...
पर सब यही समझते हैं कि बेकार सा हो गया है...
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कुछ बाते जाने अनजाने आपसे ऊँचा बोल गया था...
आपकी बताई सीखें अपनी अक्ल से तोल गया था...
हमेशा मेरा ख्याल रखा आपने में समझ ही नहीं पाया...
रात रात भर जागकर आपने मुझे गोद में सुलाया..
मुझे अब आपकी बताई सब बाते समझ आने लगी है...
उस बेहूदा हरकत पे मेरा दिल शर्म सार सा हो गया है...
बाबा आपका बेटा अब समझदार सा हो गया है...
पर सब यही समझते हैं कि बेकार सा हो गया है...-
सबकुछ तो मुमकिन है तुम साथ में रहो...
इन्सां हो तुम सब इन्सां की जात में रहो...
जब भी जाओगे खाक में मिल जाओगे...
कब्रों की मानिंद सब मसावात में रहो...
सोच में हूँ, किराये पर लूँ या खरीद लूँ...
कल उसने कहा था, औकात में रहो...
उसको पा न सको, तो ग़म भी ना करो...
इस कदर चाहो उसे कि ख़यालात में रहो...
मुमकिन है हम दुबारा मिल भी न सके...
अलविदा जानाँ तुम ख़ुश हालात में रहो...
इस तरह उसके रहो 'शाद' की बस उसी के...
जाओ उसके दिल की हवालात में रहो...-