क्या कहूँ ?
तब कहूँगा,
जब मौन हो जाऊँगा,
अभी शब्दों का,
ताना-बाना बुन देता हूँ !
तुम सुनना,
साँझ के अंतिम पहर में,
मंदिर की घण्टियों का कोलाहल,
स्वर सब, जब शांत हो जाएं !
पक्षिगण सब अपने घर को लौट जाएँ !
तब मैं भी अपने घर में,
अपने बिस्तर में,
गहरी साँस में,
सो जाऊँगा !
तब मेरा मौन हो जाना,
तब मेरा चिर निंद्रा में जाना,
एक स्वभाविक-सी क्रिया होगी !
जो न्यायिक होगी मेरे शब्दों से !
शब्द मेरे,
प्रफुल्लित होंगे,
तुम्हारे कर्ण-भूमि में स्थान पाकर !
तब मिलन होगा,
मेरा और तुम्हारा !-
अंग्रेजी से हमें कोई मत भेद नहीं है
पर,
हिन्दी से हमें बेशुमार मोहब्बत है.-
कलम उठाते हो तो सिर्फ इश्क़_मोहाब्बते और जिस्म-ए- फरोशी
की ही बातें क्यों लिखते हो?
कभी थोड़ा यथार्थ से भी परिचय कराओ
और सामाज को दर्पण दिखाओ
कलम में इतना दम है कि उसकी
स्याही जहाँ- जहाँ गीरेगी
एक चिंगारी छोड़ देगी
गुलज़ार, गालिब,जाॅन एलिया,
ये भी इश्क़_ मोहाब्बते लिखा करते थे
पर, वे यथार्थ का परिचय दिया करते थे.-
(.)
फुलस्टॉप
बस इतना सा ही,
इतनी मुश्किलो से
लिखा भी तो क्या?
ऑनली फुलस्टॉप,
कुछ और मुश्किलें लिखती!
आनंद आता है जब,
तुम अपनी जिंदगी को
बढ़ा लेती हो
एक कदम आगे,
जीना आ जाता हैं..!
पता है कैसे?
आजकल लिखने लगा हूँ
मैं भी,
सीख लिया हैं मैंने
लिखना,
जब तुम लिख देती हो,
एक कदम बढ़ा लेती हो!
मेरी जीने की उम्मीदो पर
एक फुलस्टॉप
लगा देती हो!
मैं भी चुपके से,
अपनी चाल से
लिख देता हूँ
एक-दो और
फुलस्टॉप ...
(...)-
शेर तो सिर्फ अपनी भूख मिटाने
के लिए शिकार करताहै
पर, इंसान तो अपनी हवस
को मिटाने के लिए शिकार करताहै
-
आप स्वयं राम भी हो रावन भी हो
तो मनुष्य निर्णय अब आपके ऊपर है कि
किसकी विजय हो!-
कभी कभी जिंदगी सुखे पत्ते की
तरह हो जाती है
रूख जिधर मुडती है
हम भी उधर मुड जातेहैं
जैसे शाख से कोई वास्ता
ही नहीं है
झिंझोड कर जिंदगी रख देती है
ऐ! रूख तु ये बता
तु ऐसा परीक्षा लेती क्यों है❓-
यूँ तो, समय के साथ सभी घाव
भर जाते हैं
लेकिन कभी कभी निसान रह जाते हैं
जो छुपाए न छुपते हैं
-
माँ तु मुझे अपनी आंचल में छुपा ले
या अपना त्रिशूल मुझे दे दे
ताकि मैं कर सकूँ
पापियों का नाश
बस इतनी सी शक्ति
दे दे माँ🔱-