बेवजह हमें यूं सहारा दे रहे हो
बेवजह हमें यूं सहारा दे रहे हो
हमदर्दी सच्ची है !!!!!
या फिर कोई इशारा दे रहे हो
माना कि! राह थके बैठें हैं
ज़माने को हम भूले बैठें हैं
हमसफ़र से लगते हो
अपनों में नाम हमारा दे रहे हो-
जब पढ़ते हुए आप बोर ही हुए हो की अचानक लाइट चली जाये । ☹️
Navodayan girls be like:- हम तो पढ़ ही रहे थे, अब लाइट चली गयी तो हम भी क्या करें।
भगवान जी आपने देखा न ।😜
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ये ज़िंदगी भी अजीब वसीयत ले कर आती है,
जीने का तो पता नहीं,
लेकिन !
मौत से जरुरु रूबरू करवाती है ।-
ख्याल तो उनके आते, जिन्हे दिल चाहता है याद करना !
वरना कुछ नामों के जिक्र बस से यूँ तखलीफ न होती ।-
*मैं दर्द सा हूँ*
मैं वो नाकाम खून सा हूँ,
बेमन अधूरा जुनूंन सा हूँ ,
रोनके भूले याद नहीं आती,
मैं आज वो लूटा सुकूँन सा हूँ।
बिन पंखो के पंछी सा हूँ
मैं टूटी कच्ची रस्सी सा हूँ
यादे सिरहाने बैठ सी गयी है,
मैं आज अधूरी कहानी सा हूँ ।
मे रातों की भिलक्ति हवा सा हूँ ,
दोपहर की सुनसान सड़क सा हूँ,
सुबह की चहक गुम हो मानो
बस मै वही दर्दभरी शाम सा हूँ।
* अंजली कोठियाल❤-
A TYPICAL DAY @ NAVODAYA
NAVODAYA IS A PLACE
OF TRANSFORMING
A BUD TO A GARLANDING
FLOWER
(READ THE DESCRIPTION)-
🌺मैं आज *नवोदय लिखती हूँ🌺
*वहाँ मैं उलझी सी मेहमान थी
उस जगह से बिल्कुल अंजान थी
पहाड़ फूलों की वो जगह तब !
लिख रही एक नया जहान थी।
*वहाँ अलग चेहरों की दुकान थी ,
मुझपे इज्जत-ए-आसमान थी ,
बचपन जहाँ रोने मे गुजरा, बस !
वही से शुरू, जिंदगी मेरी शान थी।
*चंद सालों मे बनी शरीर-ए-जान थी,
ये मेरा अस्तित्व, मेरी पहचान थी,
सबसे लगाव कुछ यूँ था वहाँ, कि !
उन सबके बिना जिंदगी वीरान थी।
#आज लिखते ,पानी आँखें साथ थी,
नवोदय एक तू ही असल जात थी ,
कम शब्दों में आज बहुत कह गयी ,
सच नवोदय! तुझमे कुछ तो बात थी।
🌺अंजलि कोठियाल🌺-
🌺दिल रूबा; हमदर्द🌺
तू मेरा है दिल रुबा ,
तू ही मेरा हर फ़र्ज़ है ,
तू मेरी हर रोज सुबह ,
तू ही मेरा हमदर्द है ।
तुझपे मेरी श्याम फ़िदा ,
तुझपे मेरा इश्क़ कर्ज है ,
होंगी नहीं मैं तुझसे जुदा ,
तू ही तो मेरा हमदर्द है ।
तुझपे मैने हर शब्द लिखा ,
हर जख्मों का तू मर्ज़ है ,
कैसे चाहूं आ मुझे शिखा ,
चूंकि ! तू तो मेरा हमदर्द है ।-
जिंदगी दोहराती नहीं, उन लम्हों को।
याद आते है जो, बीत जाने के बाद।।
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