सड़क पर एक-एक पैर का जूता पड़ा है
'हिन्दोस्तां' अपना देखो 'लंगड़ा' खड़ा है-
बदल कर रख दिया है राजनीतियों ने संविधान का मुखौटा,
अब वो कह रहे हमें अमन के साथ सबका विकास चाहिए।
बह गए हैं बाढ़ के घेराव में दस्तावेजों के साथ घर जिनके,
उनसे सरकार कह रहा हिंदुस्तानी नागरिक होने का प्रमाण चाहिए।
अगर करना हो ऐसे नियम लागू जो जनता के हित में है तो ऐसा विश्वास लाएं,
आवाम कह रहा हमें ऐसा सरकार चाहिए।
जो हिंसा की आग उठी है,उससे अपने ही घर जलेंगे फिर बहुत से मासूम इस दंगे में फसेगे, रोक लो खुद को इससे
क्योंकि हमें हक़ और शांति के साथ इंसाफ चाहिए।
हिंदू, मुस्लिम ,सिख ,ईसाई हम सब हैं भाई भाई यही पुराना कथन अपनाकर,
आवाम कह रहा हमें एकता के साथ वही पुराना हिंदुस्तान चाहिए।
!!हमे अपना एकराष्ट्र हिंदुस्तान चाहिए!!
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_shirisu(साँच✍)
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कुछ तो कमी है हमारी समझ में,
वर्ना अपनों पर ही पत्थर कौन चलाता है !
चन्द नेताओं के इशारों पर खून-ख़राबे गली में,
यूँ अपनों को मारकर "खलीफा" कौन बनता है !
वो तो चाहता है तुम लड़ मरो उसी की ज़द मे,
हुकूमत के उसूलों के लिए पड़ोसी का क़त्ल कौन करता है !
बन्दे ही तो लड़-लड़ मरते हैं दंगों में,
"राम-रहीम" के मसले की गवाही कौन करता है !
तेरे जितना ही लालिमा मेरे खून में,
फ़िर हमें हिन्दू-मुस्लिम कौन करता है !
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Democracy?
Yes. All based on the equality
and rights of our society.-
यहां दफ़्न है मेरे अहबाब,इसे ही अपनी पहचान लिखूंगा,
ज़रूरत पड़ी तो,अपने लहू के क़तरों से हिंदुस्तान लिखूंगा !!
یہاں دفن ہے میرے احباب اسے ہی اپنی پہچان لکھوں گا..
ضرورت پڑی تو اپنے لہو کے قطروں سے ہندوستان لکھوں گا !!-
अगर इस सर-ज़मीं को मेरे लहू की दरकार है,
तो सुन हुकूमत,हम क़तरे-क़तरे को तैयार हैं !!
اگر اس سرزمین کو میرے لہو کی درکار ہے..
تو سن حکومت,ہم قطرے قطرے کو تیار ہیں !!-
जब-जब तानाशाही आइन पर हावी होगी,
ज़ाहिर है फिर अवाम भी इंक़िलाबी होगी !!
جب جب تانا شاہی آئین پر حاوی ہوگی..
ظاہر ہے پھر عوام بھی انقلابی ہوگی !!-
Liberal ban ke desh jalane se acha hai ki,
Bachelor ban ke gold flake jalao-
एक दफ़ा फिर मज़हबी रन्जिशो में
डूबा हैं मुल्क मेरा
फिर एक दफ़ा कुछ राख हो रहा है
सब खाक हो रहा है
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