زخمی ہیں پَر لیکن جان ابھی باقی ہے
حوصلہ، اور خود پہ مان ابھی باقی ہے
آپ کی ہستی مانند بیاباں کے تھی
دیکھنے ہم کو بستان ابھی باقی ہیں
آج خود سر، باغی، بد مزاج کہتے ہیں
لگنے بہت سارے بہتان ابھی باقی ہیں
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18 FEB 2020 AT 23:05
7 OCT 2020 AT 22:06
वो आंखें दिलकश!
जिनमें छलके आशिकी का नूर गहरा,
बिन बहके मंज़िल हासिल हो जाए।
बिन कहे,बिन सुने,
करती बातें वो हर पहर,
सासों में बसी हो बेकरारी जैसे।
ये इश्क़! ‘सूफियाना’ है ,गालिब!
दिल मलंग है इनपे बाघी के जैसे।-
16 JAN 2020 AT 16:15
नफ़रत का ज़हर फैल रहा है जहान में
इंसानियत पुकारती है थोड़ा सा प्यार दे।-
16 JAN 2020 AT 16:20
कोई तो इत्तिला कर दे मेरे मसीहा को
गर वो आ रहा है तो मैं भी ठहर जाऊँ।-
16 AUG 2019 AT 12:14
✍🏻कल में और आज में बस यही फर्क है,
कल आधी थी,आज बाघी हूँ।-
10 DEC 2024 AT 19:14
जुगनू आज चाँद को चुनने चला है
बांध समुंदर को बुनने लगा है
चिंगारी ने बिजली से आंख मिलाई है
तिनके से तूफान की कयामत आई है-
28 FEB 2021 AT 10:37
यहाँ हर वो व्यक्ती विद्रोही है,
जिसने हाँ में हाँ और भीड़ बनने से
मना कर दिया है....
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