Vivekraj Gupta   (©VIV€KRAJ ...🖋)
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Joined 23 March 2019


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Joined 23 March 2019
20 OCT 2023 AT 23:59

मैंने टूटने दिया ख़ुद को
इतना की कोई जोड़ न सके
और फिर यूँ बनाया ख़ुद को
की कोई चाहे भी तो
मुझे पा न सके...
// विवेक //

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10 SEP 2023 AT 20:11


इश्क़, मोहब्बत, प्यार क्या है?
पता नहीं, पर तुमसे ही सुकून है।

तुम्हारे होने से पता चला कि
जीवन की त्रासदियां भी
हंसते-हंसते झेली जा सकती है।

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7 SEP 2023 AT 14:46

निकला हूँ मैं
ख़ुद की तलाश में
अँधेरे रस्तों में
रोशनी की आस में,

हारा हुआ मन है अब
जीतने की जोश में
चल पड़ा मैं
ख़ुद की खोज में


Read the full poem in caption...

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15 AUG 2023 AT 1:25

थोड़ी व्यथा जागी मेरे मन में
पूछूं एक प्रश्न मैं आज
तो क्या ज़वाब दे पाओगे,

समता का अधिकार जो रखा
संविधान में वीरों ने
समाज में उसे कब तुम लाओगे,

ये जो रस्तों पर, बाजारो में
तकते हो उसके कपड़ों के भीतर तुम
अपनी माँ - बहनों से नजरें कब तक मिला पाओगे,

चाहे जितना उड़ा लो मजाक तुम स्त्रीत्व का
जीवन का सबसे प्यारा गीत
तुम स्त्री के समीप रह कर ही पाओगे,

स्त्री से निर्मित हो
मातृत्व के आँचल में पले
तुम कब स्त्रीत्व को जान पाओगे,

गिर चुके हो इस क़दर अहंकार में तुम
वो पुरुष से निम्न नहीं, उसके बिन तुम कुछ नहीं
ये बात कब अपने अन्तर्मन में लाओगे...
// विवेक //

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31 JUL 2023 AT 23:49

उसके जाने पर
उसके जाने से ज्यादा
उसका साथ होना मेरे पास रह गया...

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17 JUL 2023 AT 7:56

चाहे स्थितियाँ
कितनी ही विकट हो
रास्ते ये मंजिलों के
कितने ही विरल हो
हो दुनिया ना साथ मेरे,
पर तुम मेरे पास हो
कर लूँगा विजय मैं
प्रत्येक रण, अगर तुम साथ हो...
// विवेक //

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4 JAN 2023 AT 12:15

She asked : why don't you write stories instead of poems?
He replied : Every stories have an end but poetries don't. A poetry always gives birth to another.

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29 JUN 2022 AT 11:02

मैंने कभी
लिखनी नहीं चाही
प्रेम कविताएँ
मैं तो सदैव
बस तुम्हें लिखा
करता था
शायद तुम्हारा
मेरे जीवन में होना
ही प्रेम है...
- विवेक 🖋️

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8 MAY 2022 AT 14:42

चेहरे तो हजार मिलेंगे इस जहाँ में,
पर उसके जैसा दिल कहीं नहीं... ❣️
- विवेक 🖋️

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5 MAY 2022 AT 20:52

कहाँ तन्हा चल पाता है कोई यहाँ
हर कदम पर साथ होता है
नाकाम हो जाने का डर...
- विवेक 🖋️

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