अजीब है तेरी दुनिया के लोग
या रब "पैसों" के लिए सच को,
झूठ और झूठ को सच बना देते है..
🥀💔🥀-
मेरे झूठ पर लोग जल्दी ऐतबार कर लेते है
सच के लिए तो सबूत मांगा जाता है-
क्या जवाब दूं इस सवाल का,
जब कोई पूछता है मेरे हाल का।
सोचता हूं की सच बतलाऊं,
या उस दर्द को फिर झूठलाऊं।-
भूल जाते हो 'जनाब' आप भी
भला सच ने कब वसीयत बनवाई
औ' झूठ ने कब लिबास ना पहना..-
ये क्या हो गया है मेरे शहर को,
हर कोई यहां इश्क़ का बीमार लगता है।
वो शख्स जो हर वक़्त सच बोलता है,
झूठ बोलना उसका कारोबार लगता है।
ये तू किस मोड़ पर आ ठहरी है, ज़िन्दगी,
हर नया दिन एक पुराना अखबार लगता है।
अपने परायों का अंतर करना मुश्किल है,
अपना ही घर मुझे एक बाजार लगता है।-
आइने को धुंधला ही छोड़ देते हैं और
अपनी शक्ल को चमाचम साफ करते हैं।
झूठ बोलना नया कानून है और आप
सच बोलने का गुनाह सरेआम करते हैं।-
इतनी सी ही परेशानी की बात है,
कि सच छुपता नही है,
और झूठ लोगो को दिखता नही है।।-
जो झूठ लगे वो सच कहना छोड़ दिया है,
रोना तो आता है, पर रोना छोड़ दिया है.-
कुछ कहूँ तुमसे?
इश्क़ सा कुछ हुआ है तुम्हारे शब्दों से,
तुम्हारी लिखी हर कविता से
(कैप्शन में पढ़े)-
वो सच और झूठ के तराज़ू में
तौलते अनेकों रिश्ते
एक तरफ़ फ़रेबी इश्क़
एक तरफ़ नफ़रत की आग
जिसके शब्दों के तलवार से जंग हुई
जीत तो किसी की ना हो पाई
पर हारे दोनो ही पक्ष
हां बस वो सय्याद सुकून में था
जिसकी फितरत ही निशानेबाज़ी थी-