रंग घुल रहा कान्हा तेरे धाम में,अखियाँ बरस रही तेरे नाम से
अधीर होकर मेरा मन बावरा, नित्य पंहुचे वृन्दावन धाम में!-
कर मोहन की कल्पना और राधा कूँ तू पाय
जो राधा मुसकाय तो रुकौ काम बन जाय
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दर्शन हो तेरे धाम के
बस इतनी ही मेरी अर्जी है
चरण रज जो मिल जाए
जीवन रंग जाए तेरे ध्यान में
हर श्वांस में सिमरन माधव
बस इक तेरा ही नाम है...!!-
चपला चमकै द्युति दामिन सी,
अपला कहू और न ठौर कूँ पावै
नैन चलै जैसै मृगनयनी,
मधुमास में जैसै कुसुम सिहावै
हारि थके जे बिहारी बिहारिन,
कोऊ ता जाकौ भेद बतावै
प्रकटी एक लाड लढैती मेरी,
राधे जू मेरे घर पधरावै
#R.K.TIWARI
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शंख बजे तुरही बजे
चहुँ ओर एक ही नाम
धनुष टंकार है कह रही
आ रहे राजा राम-
पैसा चार भये न भये घर आंगन बिटिया दयी है चार
चूल्हा लकड़ी नाहि जरै जा उदर अग्नि की ना है सार
जेठ तपै आषाढ सुनै नहीं, मेघ करै न कोई सहार
अन्न उधार मिलै कल ते तब होये जाकै कुटुंब गुजार
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मोर पंख मस्तक सज्यौ
लयी बन्सी खौंस समाय
माखन जो मुख पर लग्यौ
तौ अमरित भी सरमायै-
लगा तो लंऊ मैं जीवन भर तेरी परकम्मा "कान्हा"
सवाल जे कि तोपै दो घड़ी कौ वखत है कि नाय
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घंटध्वनि से रात्रि हो
और शंखध्वनि से भोर
राधे थिरकत मध्य में
कृष्ण कृष्ण चहुं ओर
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चन्द्रमा की चमकन ते चमकै जो चन्द्र हार
गुन गुनाय गिर गिर कै गिरति गज गामिनी
पुष्पन की पुष्पलता पुलकित हैं पुनर पुनर
कृष्ण की पखावज बजै, नृत्य करै यामिनी-