वंशवाद, निकृष्टतम कोटि का आरक्षण है।
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😁दोहा😁
जनादेश इस बार का
बन कर आया यक्ष।
धूल-धूसरित हो गए
वंशवाद के वृक्ष।।
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राजनीतिक वंशवाद पर इतनी हाय-तौबा क्यों? जबकि हम सब वंशवाद के शिकार हैं और पीढ़ियों से वंशवाद के लाभ लेते आ रहे हैं।
वंशवाद का विरोध वास्तव में सापेक्षिक वंचना की भावना से प्रेरित है जिसमें अपने वंशवाद को बचाने के लिए छटपटाहट नजर आती है।-
वो हुक्मरानों की इनायत होती
वो रायबहादुरों की बख्शीश होती
वो कट्टरपंथ का गोला बारूद होती
वो वंशवाद की चरण वंदना होती
जो देश में अगर जम्हूरियत ना होती
जो व्यवस्था लोकतांत्रिक ना होती-
कुछ कहने की है नही जरूरत
फिर भी बोलें जाते हैं,
खुद की चादर है मैली
दूसरों पर उंगली उठाते हैं।
बड़बोलापन के आदी हैं वो
कुछ भी बोल दिया करते हैं
अंजाम पर तवज्जों देते नही
खुद की फजीहत किया करते हैं।
जेसी करणीय वैसी भरनी
यही दस्तूर है दुनियादारी का
अपना मुस्तकबिल पता नहीं
मुखालफत में जीने बालों का ।
कर्तव्यनिष्ठ से जीने वाले
अक्सर धोखा खाते हैं,
जाती धर्म में बाँटने वाले
देश लूट के खाते हैं ।
फिरभी आँख नही खुलते हैं
हम जैसों इंसानों को,
वंशवाद के पोषक जो हैं
उन्हें गले लगाने को ।-
उद्धट बोल
वसूली झोल
घमंडी चाल
निकाले खाल के बाल
आलं का लक्षात
ठाकरे बाल
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" वंशवाद के पोषक "
👎
कुछ कहने की है नही जरूरत
फिर भी बोलें जाते हैं,
खुद की चादर है मैली
दूसरों पर उंगली उठाते हैं।
बड़बोलापन के आदी हैं वो
कुछ भी बोल दिया करते हैं
अंजाम पर तवज्जों देते नही
खुद की फजीहत किया करते हैं।
जेसी करणीय वैसी भरनी
यही दस्तूर है दुनियादारी का
अपना मुस्तकबिल पता नहीं
मुखालफत में जीने बालों का ।
कर्तव्यनिष्ठ से जीने वाले
अक्सर धोखा खाते हैं,
जाती धर्म में बाँटने वाले
देश लूट के खाते हैं ।
फिरभी आँख नही खुलते हैं
हम जैसों इंसानों को,
वंशवाद के पोषक जो हैं
उन्हें गले लगाने को ।-
बेटी को वंश से परे समझना
माता-पिता के दृष्टिकोण की भूल है,
जो बेटी घर को रोशन करती है
वही असल में वंश की धरोहर है.-