आज भी प्यार करते हैं ,
उन कंचों से,
उन टूटे हुए गिल्ली डंडों से..
आज भी मोहब्बत उस बूढी नानी से है
जो कहती थी "मैं तुझसे शादी करुँगी",
बदले में रोज बेर दूंगी.😁
आज भी साईकिल के टायर दीवाने हैं,
जो कभी हमारी उड़न खटोला थी.....
वो दस पैसे की आमकूट, बीस पैसे की आमपाचक,
कभी हमारी राजशाही आठ आना की कोला थी.....-
ऐ क़ातिल,
मेरे मौत का ख्वाब न देख.
मेरे लहू के हर कतरे से,
क्रांति की लौ जलाई जायेगी.
ना सही मैं, मामा गोरा जैसा,
किन्तु एक प्रहर तक सर-धड़ मेरे,
इंकलाब के धुन गायेंगी...
जय भवानी
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ऐ मुख़्तार,
इश्क़ वो नहीं, जिसमें साथ जीने की कसमें खायी जाय.
इश्क़ वो नहीं, जिसमें मुक़म्मल जहान मिल जाय.
इश्क़ वो एहसास है,
जिसमें जुदा हो कर, एक दूसरे के लिये दुआ की जाय.
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ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा
पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा
खामोशियों की मौत गवारा नही मुझे
शीशा हूँ टुटकर भी खनक छोड़ जाऊंगा…!!-
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ
सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में
और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ
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ऐ कलम !
तेरे इस मोहब्बत को, तेरा ये मुख़्तार क्या नाम दे !
जब थाम लेती है तू हाथ मेरा !
हाल ए दिल बयाँ हो जाता है...-
कुछ धर्म के ठेकेदारों को एक उर्दू नाम से दिक्क़त होने लगी.
📣उनके लिये कुछ पंक्तियाँ 🔊🔊
मज़हब, ईमान, उसूलों का इल्म हमें ना दो.
आफ़ताब से पहले उठ, भागवत गीता सुनते हैं.
तुम "करेंगे दारू पार्टी" पर थिरकते हो,
हम "बम लहरी " पर झूमते हैं.
भूल मत जाना, छ: धागे हैं हमारे काँधों पर.
सुदामा, एक मात्र चेहरा समझने की भूल ना करना.
दूसरा चेहरा परशुराम का भी है.-
तुझसे कितनी मोहब्बत करता है मुख़्तार,
कैसे ये बयाँ करूँ!
तू बस इशारा दे,
तुझपे जान निसार करूँ.
इख़्तियात है तेरा, मुझ पर.
एहतिमाल ना कर मेरे इश्क़ पर,
अहले वतन तेरे इब्तिसाम पे,
खुद को कुर्बान करूँ.............
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परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं
हवा में सनसनी घोले हुए हैं
तुम्हीं कमज़ोर पड़ते जा रहे हो
तुम्हारे ख़्वाब तो शोले हुए हैं
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