मुकेश कुमार  
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इशक,स्वार्थ और सियासत के बीच का पतवार।।
सीतामढ़ी का ब-दस्तूर गंवार ।।
❤️
Joined 27 December 2020


इशक,स्वार्थ और सियासत के बीच का पतवार।।
सीतामढ़ी का ब-दस्तूर गंवार ।।
❤️
Joined 27 December 2020

ज़िन्दगी में कमाई जाने वाली सबसे बहुमूल्य चीज़ होती है किसी का समर्पण किसी को अपने बातों से उसके दिल को जितना ये आप से मिलकर जाना। मेरे जैसे निहायती बेवकूफ़ और बेहद ख़राब किस्मत नादान बालक को जो मुझे संभालने से ज़्यादा इस बात पर ध्यान देते रहे की मैं कभी गिरूं और गिरकर उठना चाहूँ तो मुझे सही रास्ता दिखाने वाले आप। आप जानते थे की मुझसे कुछ नहीं हो पायेगा जीवन में इधर उधर में हीं रह जाऊंगा। पर आपको एक भरोसा था।की मैं क़ामयाब ज़रूर होऊंगा। सच पूछिए तो जो थोड़ी बहुत हिम्मत बची है हौसला बचा है उसी के लिए बचा है उसके भरोसे के लिए बचा है। मेरे लिए कोई गुरु मार्गदर्शन की परिभाषा या उससे एक बेहतरीन मिसाल पूछ लें मैं बिना एक क्षण गवाएं बिना किसी हिचकिचाहट के सीपू सर का नाम लिख दूं। सर आपको जन्मदिन की ढ़ेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं। आप पर गर्व करने से लेकर एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाने के लिए आपका शुक्रिया।

आपसे प्रभावित होकर यही कहना चाहूंगा जो दो लाइन आपे पे सटीक बैठती है।
चुपचाप सुनते हूँ शिकायतें सबकी
तब दुनिया बदलने की आवाज बनते हूँ।आप सीपु सर
समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के
और आप डूबती कश्तियों को जहाज बनाते हूँ।
बनाए चांद पे कोई बुर्ज ए खलीफा
अरे आप तो कच्ची मिट्टी से इंसान बनाते है।
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं। बे रंग जिंदगी को यूं मुस्कुराते हुए रंग भरते रहिए।🎂❤️✨

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मोबाइल की गैलरी जीवन की यादों से जुड़ रही है।
लेकिन पिता जी के साथ एक सेल्फी भी नहीं....!!🥹✨

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वही लड़के जो सीतामढ़ी,पटना और दिल्ली से अपने गाँव के छठ घाट पहुंचे थे, आज से दो दिनों तक परसादी चिमकी में बांधकर बैग में भर भरेंगे। बैग का चैन जबरदस्ती जात-दबा के बंद किया जा रहा होगा। उस बैग में कितनी चीज़ें हैं वो मत देखिए, उस बैग में कैद छठ माई और परिजनों का भरा हुआ आशीर्वाद देखिए। बैग का आकार टेढ़ा मेढ़ा हो जाएगा क्योंकि उस बबुआ को आशीर्वाद से भर दिया जाएगा।

इधर घर का मोह छोड़ नहीं रहा होगा,उधर बस, ट्रेन का टाइम हो रहा होगा। माई, चाची, फुआ, दादी मिलकर कढ़ी-बरी बना रही होंगी कि बबुआ खा कर जाएगा।भारी मन से कोई भाई या चाचा दुआर पे मोटरसाइकिल लेकर खड़ा हुआ होगा नजदीकी चौक तक छोड़ने के लिए। बबुआ के जाने के बाद अन्न जल भी नहीं घोंटा जाएगा घर पे किसी को पर..... क्या करिएगा.... यही जिंदगी है,
हम भी घर से चल दिए है अपने मंजिल की ओर अइसहीं चलता है हम बिहार वालों का। बबुआ जहाँ बैग लेकर पहुँचेगा वहाँ जाते वो सारा आशीर्वाद और परसाद अपने साथियों में लुटा देगा, उधर उसके साथी भी इस आस में बैठे होंगे कि फलाना आएगा तो ठेकुआ ले आएगा। इसलिए, छठ महापर्व ही नहीं इमोशन भी है हमारा। ❤️✨

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22 JUL 2024 AT 22:55

वो सबसे सुंदर है, वहीं सबसे बदसूरत भी है, वो एक महान् सन्यासी है,वो एक गृहस्थ भी है,वो सबसे अनुशासित है, वो एक नर्तक है और वो पूर्ण रूप से स्थिर भी है,देवता उनकी पूजा करते है,दानव भी उनकी पूजा करते है, दुनिया में हर तरह के जीव उनकी पूजा करते है, हम उनके बारे में जो कुछ भी कहते है या कह सकते है आपको समझना चाहिए की उसका बिलकुल उल्टा भी वे ही है, वे सबसे भयानक भैरव है जो गुस्सैल और जबरदस्त हिंसक भी है, तथा वे ही सबसे करुणामय भी है, वो सुंदरमूर्ति है, वो मेरे शिव है ❤️✨

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यह समय है जो मुझे और तुम्हें सिखा रहा है कि कुछ न कुछ सब पर बीतता है। और इस बीत जाने के बाद केवल अस्थियाँ शेष रह जाती हैं। उन शेष अस्थियों को हम सहेज कर रखते हैं या प्रवाहित कर देते हैं यह निर्णय हमारा है और इसपर निर्भर करता है भविष्य... एक ऐसा भविष्य जिसकी नींव राख के ढेर पर तैयार होती है। लेकिन वो फिर भी मजबूत होती है... इतनी मजबूत कि किसी भी भूकंप से वो डगमगाए नहीं, बल्कि टिकी रहे। जीवन किसी के बिना नहीं रुकता, निरंतरता जीवन का पर्याय है। यह निरंतरता आवश्यक है, उसके लिए विश्वास आवश्यक है, और वह विश्वास ऐसा नहीं होना चाहिए जो एक झटके से टूट कर बिखर जाए बल्कि वो एक पौधे की तरह होना चाहिए जो प्यार के पानी से सींचने से निरंतर बढ़ता जाए और एक विशाल पेड़ बने जो जीवन की धूप में छाँव भी दे सके और हृदय को संतुष्टि भी।

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इस भगदौड़ भरी जिंदगी में सबको लगता है उससे व्यस्त और परेशान व्यक्ति कोई है ही नही लेकिन वो इन सब के बीच अपनी खूबसूरत लम्हों को भूल कर सब कुछ इतनी आसानी से तोड़ देता है या छोड़ देता है खैर!खिलौने रिश्ते,दोस्ती,प्रेम भरोसा इन सब को कौन स्थाई रखना चाहता है वो बिना सोचे सालों की मेहनत से बनी सब चीजें तोड़ने में कुछ मिनट लगाता है.. टूटी हुई चीजों की खाली जगह भरने में फिर से सालों की मेहनत लगती है। शायद सब कुछ पहले जितना ख़ूबसूरत बन भी नही पाए और अगर बन भी गया तो हर टूटी चीज़ मन पर जो हल्की सी खरोंच छोड़ जाती है वो दुनिया की कोई भी खूबसूरती न भर पाएगी। फिर हम जीवन भर उलझे रहेंगें उन खाली जगहों को भरने के लिए जोड़-तोड़ के खेल में इसलिए जब,जहाँ,जैसे,जितना,जो कुछ भी मिल रहा है उसकी कद्र कीजिये। संभालिए, सहेजिये, समेट लीजिये बिखरते, टूटते, उजड़ते, घरों को, दोस्ती को, प्रेम को, भरोसे को। बिना आखिरी कोशिश किये, ऐसे ही मत जाने दीजिए किसी को भी क्यूंकि गए हुए लोग,रिश्ते,प्रेम और भरोसा लौट कर नहीं आते और लौटते है उसमें सिवाय छल के कुछ नहीं बचता!

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29 APR 2024 AT 20:59

जिंदगी के सबसे बुरे दौड़ से गुज़र रहे हैं। कायनात के हर चीज हमसे नाराज है। सभी से बातें करना बंद कर दिया हूं। अकेले ही रहना पसंद करने लगा हूं। किसी से कोई मदद या मशवरे की अब जरूरत नही। सब कुछ अपने ईश्वर पे छोड़ दिया हूं। अब जो भी होगा उसे स्वीकार करने के लिए अपने बाहें पसारे खड़ा हूं...!!

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28 APR 2024 AT 22:27

एक वक्त होता है जब हम चाहते हैं दोस्त बनाना,लोगों के साथ जुड़ना, मिलना–जुलना, हंसना–खेलना।और फिर एक वक्त आता है जब हमें इन सारी चीजों से कुढ़न होने लगती है, अकेलापन सुकून देने लगता है।जिन्दगी के दौड़ में हम कब बदल जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता। और फिर अतीत के पन्ने पलट के जब कभी खुद को देखते हैं तो अचंभित होते हुए खुद से ही सवाल करते हैं कि " क्या ये मैं ही हूं"..!!!!

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17 APR 2024 AT 21:23

पैदा होने से मरने तक लाख रिश्ते बनते होंगे
लेकिन पिता जैसा देखभाल करने वाला और मां जैसी प्यार करने वाली दोबारा नहीं मिलते..!!✨

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21 FEB 2024 AT 22:18

हम रात से नही डरते है,हम इस बात से डरते है की अगली सुबह कुछ नही बदलेगा। हम अकेलापन से नही डरते है,हम इस बात से डरते है की हमें फिर जब भी किसी का साथ मिलेगा वो इंसान गलत होगा।हम हार से नही डरते,हम इस बात से डरते है,की हम जीते नही तो लोग हमे जीने नही देंगे।हम दुखों से नही डरते है,हम सुख की आने की संभावना से डरते है।

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