पंच बनने का चढ़ा रहता है जिनके सर पे रोज फितूर।
सुर्ख़ियों में आने का वो लोग उपाय ढूंढ़ते हैं हुजूर।
बन कर बिचौलिया सदैव अपना हित साधते आए हैं जो-
दुसरों की आई में हाथों को जला बैठते हैं वो जरूर।
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10 MAY 2022 AT 16:37
25 SEP 2018 AT 11:40
कोई उधार पे जीता है
कोई पगार पे जीता है
कोई कोई एसे भी हैं जो
दूसरों के जोगाड़ पे जीता है।
कोई चोरी करके जीता है
कोई डकैती करके जीता है
कोई कोई एसे भी हैं जो
बिचौलिया के कमाई पे जीता है।
कोई खाकर जिंदा है
कोई खाने के लिये जिंदा है
कोई कोई एसे भी हैं जो
हवा पे जिंदा है।-
26 MAR 2022 AT 10:35
पंच बनने का चढ़ा रहता है जिनके सर पे रोज फितूर।
सुर्ख़ियों में आने का वो लोग उपाय ढूंढ़ते हैं हुजूर।
बन कर बिचौलिया सदैव अपना हित साधते आए हैं जो-
दुसरों की आई में हाथों को जला बैठते हैं वो जरूर।
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