तुम रुको ना सबको काट दो इस बार बंधु
जब जब वो मिले अकेला सब मिलकर मार दो बंधु
मत सोचो एक बार तुम हो इंसान
कर दो सबका काम तमाम बंधु
पूछेगा जब इतिहास तुझसे बंधु
कहलाएगा मानवता का हत्यारा तू बंधु
क्या किया इस बार तू बंधु
बंद करो हिंसा जलाओ ना घर बार बंधु
है विचारों की लड़ाई विचारों से तुम लड़ों बंधु
ना करो फिर से भारत पाकिस्तान बंधु
अमन शांति की बात करो बंधु
मत करो मानवता जला के राख बंधु
ना करो फिर से भारत पाकिस्तान बंधु
प्रेम से रहो आपस में प्रेम करो तुम बंधु
।। अनिल प्रयागराज वाला ।।-
बहुत याद आती है माँ,
मैं हूं कौन बताया था माँ ने.
मुझे पहला कलमा पढ़ाया था माँ ने.
वो यह चाहती थी कि मै सिख जाऊ.
वो हाथो से खिलाती थी मुझ को,
कभी लोरिया भी सुनाती थी मुझ को.
वह नन्हे से पैर चलाती थी मुझको,
कभी दूर जाकर बुलाती थी मुझको.
मेरा लड़खड़ाकर पहलू में गिरना,
उठाकर गले से लगाती थी मुझको.
कि चलना सिखाती है माँ,
बहुत याद आती है माँ…-
ना किसी से जलन है,
ना किसी से कोई होड़ है,
मेरी अपनी मंजिल है,
मेरी अपनी दौड़ है...-
काजल रखूं कि गजल रखूं अलक रखूं कि पलक रखूं
तू इक बार नज़र आ जाए तो मैं तेरा नाम झलक रखूं
बस अब और ना तरसा मुझपे अपने प्यार की बारिश बरसा
बता इस तरह प्यासा मैं अपने दिल को कब तलक रखूं
तेरे लिए आसमां के तारे लाऊँ जन्नत के हसीं नज़ारे लाऊँ
और तू जो कहे तो तेरे कदमों में लाकर मैं फलक रखूं
तुझ पर जिंदगी फना कर दूं तुझको कैसे मैं मना कर दूं
हो अगर तेरा इशारा तो मैं दार पर अपना हलक रखूं
बरसों से वीरान पड़ा मेरे दिल का चमन खिलना ही नहीं
तू मुझको मिलना ही नहीं तो फिर क्यों तेरी ललक रखूं
नामचीन'मुझसे अगर कहे कोई फलक लोगे या खलक लोगे
तो फिर ठुकराकर फलक को में अपने पास खलक रखूं
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” समाज में अपना परिचय स्वयं देना पड़े ,
तो समझ लेना सफलता अभी दूर है। ।”-
तूने हर बात मुझको बताई नहीं
इसलिए तो कसम मेरी खाई नहीं
मुझको मेरे नसीबों से तू मिल गई
वरना रस्में तो तूने निभाई नहीं
इस कदर मुझको तेरे पे एतबार था
वफा तेरी कभी आज़माई नहीं
अब तू गैरों को इल्ज़ाम देना नहीं
आग औरों ने तो ये लगाई नहीं
इस तरह जिरह करने से क्या फायदा
इस गवाही में बिल्कुल सच्चाई नहीं
चाहता था बहुत तेरी मंजिल बनू
बात दिल में रही है लब तक आई नहीं
आखिरी वक्त लौटे तो क्या लौटना
जिंदगी मेरे संग तो बिताई नहीं
राहबर खो गया काफिला लुट गया
दिल की नगरी अभी तो बसाई नहीं...-
बड़ा शौक था मोहब्बत करने का
शौक शौक में हमनें जिंदगी ही
बर्बाद कर ली..-