सबको दिखाई दे रहा है कि तौसीफ ने निकिता को गोली मारी। कानून को दिखाई देने में, 10-15 साल लग जाएँगे। थूकता हूं ऐसे कानून पर ..
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दिल्ली
जी हां ये दिल्ली है, यहां जीना दुस्वर है
पर ये बेईमानी, भ्रष्टाचार से भरा बाज़ार है
सभी यहां मतलब की दुनिया में रहते है
न जाने यह अपने आपको कहां का तोप समझते है
यहां आबादी के कोलाहल सुनाई देते है
मोदी जी के सरकार में
हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार भी होते है
न जाने यहां कितने भ्रष्टाचार होते है
वादे भी सिर्फ चुनाव के वक़्त ही होते है
यहां बहुत से स्कूल महाविद्यालय है
फिर भी नौकरी के क्यों लाले है
6 साल हो गए मोदी जी
राम बनकर रावण को कब मारोगे
अब बस एक बात बताओ
हमें इस दलदल से बाहर कब निकालोगे,-
अब तो पेड़ लगाओ
ध्वनि,मिट्टी,जल,वायु और प्रकृति की यही गुहार है,
इंसान की माया है ये सब
इसीलिए आज प्रकृति भी माऊष होए बैठे है,
और इस देश को देखो
पेड़ काट देश को बढ़ाने की बात कर रहे है,
सब हमारी ही करनी है
सुधारना भी सब हमको ही है,
सोच लिया है आज मैंने भी
आज सभी को यही सिखाना है
काटोगे गर एक पेड़ तो
दस पेड़ और लगाना है-
मां
मां फिर से गोदी में लेकर
चंदा मामा वाली कहानी तो सुना न,
जैसे मिट्टी खाने पर प्यार से मारती थी
बस एक बार फिर से प्यार से तो मार न,
खाते वक्त तोता मैना का कोर बनाकर अपने हाथो से
खिलाती थी एक बार फिर वैसे ही खिला न,
शैतानी करने पर जैसे कान पकड़ के तेरा वो प्यार से
डांटना बस एक बार फिर से तो डांट न,
कहां है मां एक बार तो गले लगा के
तो पूछ कैसा है ठीक तो है न,
एक बार तो गोदी में सिर रख कर सोने दे
और वो लोरी तो सुना न,
मां तेरी याद आती है,
बस एक बार मेरे लिए लौट आ न,
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आंखों में जलन है
सीने में चुभन है
सिर भी हुआ थोड़ा भारी।
न पाकिस्तान की साजिश
न चीन की ये आजमाइश
बस कर्मो की सजा है हमारी
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