QUOTES ON #पितृपक्ष

#पितृपक्ष quotes

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16 JUN 2024 AT 22:45

पिता का होना जैसे हमारे सिर पर छत का होना।
पिता का होना जैसे इस धूप में ठंडी छांव का होना।

पिता का होना जैसे अपने जख्म पर मरहम होना।
पिता का होना जैसे भीड़ में किसी अपने का होना।

पिता का होना जैसे डूबते को तिनके का सहारा जो।
पिता का होना जैसे अंधेरी रात में एक उजली किरण।

पिता का होना, दिल्ली की गर्मी में बहती ठंडी पवन।
पिता का होना जैसे निर्मल हो जाए ये तन और मन

पिता का होना जैसे हर्षोल्लास से भर पर हो जीवन।
पिता का होना जैसे मंदिर में उपस्थित मूर्ति पावन।

पिता का होना जैसे हारने के बाद वाली नई ऊर्जा।
पिता का होना जैसे अपने "आराध्य" की हो पूजा।

पिता का होना "अभि" जैसे जीवन का हो कोई अर्थ।
पिता का न होना मानो जीवन हो गया है अब व्यर्थ।

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12 SEP 2019 AT 7:34

अब ऑनलाइन होने लगे हैं श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान
पुरुष-प्रधान समाज, स्वयं खंड-खंड कर रहा है विधान

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7 SEP 2019 AT 16:33

आया हूँ इस लोक भ्रमण को
पिंडदान और मुक्त तर्पण को
पूर्वज हूँ तेरा इतना फर्ज निभा देना
एक लोटा गंगाजल मुझे पिला देना
विष्णुपद में मुझे बुलाकर मेरा पिंडदान करा देना
उसके बाद मेरे नाम का तर्पण फल्गू में बहा देना
पितृपक्ष में बड़ी आस से तेरे घर को आया हूँ
श्राद्ध पक्ष में विश्वास लेकर द्वार पर आया हूँ
मेरी मुक्ति के निमित्त ये संस्कार करा देना
लोक परलोक शुद्ध मुक्त सत्य करा देना
मेरी क्षुधा के निमित्त भरपेट भोजन
कर्मकांडीय ब्राह्मण को खिला देना
एक और पत्ते में भोजन को तुम
गौ, कौवा, कुत्ते भी रख आना
फिर थोड़ा भोजन तुम करना
मेरा आशिर्वाद ग्रहण करना

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15 SEP 2019 AT 6:31

अंजुरी में जल ले कर अंगुष्ठ ओर अर्पण करना
द्वितीया श्राद्ध को सर्वस्व अपना समर्पण करना

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12 SEP 2019 AT 17:01

श्रद्धा का श्राद्ध पितरों के निमित्त
शुभ कार्य वर्जित हदय उत्सर्जित

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19 SEP 2019 AT 5:48

गौ सेवा आज तुम करना किसी गाय को दूब खिला देना
हे प्रिय वंशज मुझे मुक्त करना पंचम श्राद्ध अर्पण करना

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27 SEP 2019 AT 5:07

पितृऋण मुक्ति हेतु तर्पण मेरा तुम सहज युक्ति करना
हे वंशजों मुझे मुक्त करना त्रयोदश श्राद्ध अर्पण करना
शुक्लपक्ष की चंद्र कलाओं जैसी जीवन वृहत्तर करना
मेरे कुलदीपकों सदा खुश रहना भक्ति मार्ग पर चलना

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16 SEP 2019 AT 9:11

कौवे को सिगरेट पिला कर उसने क्षुधा शांत की
पितृपक्ष अधर्म उसने पुनः पिता के मुत्युपर्यंत की

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21 SEP 2019 AT 6:00

आज एक पौधरोपण करना और उसमें जल समर्पण करना
हे वंशज उस पौध को वृक्ष करना सप्तम श्राद्ध अर्पण करना

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6 OCT 2021 AT 10:47

नित जल का तर्पण करते हो
पर क्या दिल से कभी याद किया..
जो श्राद्ध में श्रद्धा नहीं तो
जो किया सब बेबुनियाद किया।।

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