QUOTES ON #जल_जंगल_जमीन

#जल_जंगल_जमीन quotes

Trending | Latest
16 OCT 2020 AT 0:11

जंगल की चिरैया बोली..
जल जंगल ज़मीन वालों से
तुम जंगल को अपना घर कहते हो
तो उनमें जहरीले नागों को क्यों रखते हो
वो सफ़ेद नाग हमारे अंडों और बच्चे खा जातें हैं
कभी किसी के घर घुस जातें है कभी ज़हर से डस जाते हैं
जल जंगल ज़मीन वालों ने.... उस चिरैया को ध्यान से सुना.....
उन्होनें कहा नाग जब जंगल में आए थे तो खुद को बेबस बताए थे
हमे नही पता था उनमें इतना ज़हर भरा था हमे तो वो बड़ा सुंदर लगा था
उसकी सुंदरता से आकर्षित होकर हमने उसे जंगल में पनाह दीया था
हमे क्या पता एक दिन नाग ही जल जंगल और ज़मीन पर राज़ करेगा
और हमारा वजूद ही हमसे छीन लेगा
पर अब उन नागों का उत्पात अब बढ़ने ना दिया जाएगा
जो हमला करेगा ज़हर भरी दाँतों से तो उस दाँत को तोड़ दीया जाएगा
हम जल जंगल ज़मीन के मालिक थे है और रहेंगे ये घर हमारा है
और अब इस घर में ज़हरीली नागों को बर्दास्त नही किया जाएगा
विष की भरी थैलियों को अब बनने ही नही दिया जाएगा






-


7 FEB 2021 AT 5:55

जंगल
जंगल ही तो हूँ कुछ नही बोलूंगा,
बेजुबान हु लेकिन दर्द मुझे भी होता !
मुझसे भी सहन नहीं हो रहा ,
वो दर्द जो तुम दे रहें हो , मेरी संतानो को
उखाड़ दिया है !!!
लेकिन फिर भी चुप हूँ , सिंगार के बिना
जी रहा हूँ,
सहन कर रहा हर वो दर्द जो एक पिता
नहीं कर पाता हैं !!
कब तक करुँगा यह तो मुझे भी
नही मालूम है ,
लेकिन यह जरूर है कि जिस दिन मैने खो
दिया सब्र,
उसी दिन तेरा विनाश निश्चित हैं !!
ऐसा मत समझना कमजोर हूँ ,
बस तुम्हें अपना समझने की ग़लती कर
रहा हूँ !!
मुझे दर्द पहुंचाकर उसे विकास कहता हैं
तू ,
लेकिन तु तेरी ही कब्र तैयार कर रहा है !!!
जंगल ही तो हूँ कुछ नही बोलूंगा ,,, !!!

-


14 SEP 2024 AT 21:03

जिंदगी की
घास खोदने में
जुटे हम सभी
जब कभी चौंककर
घास, घाम और खुरपा
तीनों क़ो भुला देते हैं,
तभी प्यार का जन्म होता है !

-



हमनें प्रकृति को भुला दिया, अपनी लालसा की ख़ातिर जंगलों को जला दिया..
जल, जंगल ,जमीन की ख़ातिर, अपने अस्तित्व की रक्षा के ख़ातिर जिन्होंने जी जान लगा दिया..
जमींदारों से लेकर अंग्रेजों तक के शासन को कुर्सी सहित हिला दिया...
ऐसे आदिवासियों को मेरा मेरा नमन, जिन्होंने तीर-भालों से जंगलों को बचा लिया...

इन आदिवासियों को अपनी शक्ति से पहचान करने बरसों पहले एक नायक जन्म लिया..
नाम था *बिरसा मुंडा* जिन्होंने अपने हक़ अंग्रेज़ों के साम्राज्य को हिला दिया..

जय बिरसा मुंडा, जय प्रकृति, जय इंसानियत

-


5 MAY 2022 AT 19:13

सुनो कहानी मेरी जुबानी, जैसे सुनाती दादी या नानी
एक राजा था एक गाँव में, रहता था पेड़ों की छांव में
मीठा मीठा पानी आता था, नदियों के बहाव में
एक दिन उस राजा का, मन में बढ़ गया लालच
अपने ही लोगों के लिए, बन गया वो मगरमच्छ
पैसों के लालच में आकर, पेड़ों को सारे बेच दिया
मीठे पानी को भुला कर, नदियों से सारी रेत दिया
गांव वाले सब हुए परेशान, जाने लगी लोगों की जान
शुरू हुई पेड़ों की कटाई, सबने अपनी आवाज उठाई
मत काटो इन पेड़ों को, इससे जिंदगी हमारी है
प्रकृति की रक्षा करना, हमारी जिम्मेदारी है
राजा को बात समझ में आया,
उसने अपना आदेश हटाया
जल जंगल और जमीन, हमारे लिए जरूरी है
प्रकृति की रक्षा करना, जिम्मेदारी है
ना कि मजबूरी है।

-