सहज सहमति वाली
99 बातों की उपेक्षा कर
असहमति वाली एक बात को
तलाशना ही आज के युग में
बौद्धिकता का प्रतीक है।
😊जय छिद्रान्वेषी😊
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एक बहुत कड़वी व निराशाजनक वास्तविकता यह है कि, जो लोग समाज कल्याण के लिए अपना समय और ऊर्जा समर्पित करते हैं, उन्हें हमेशा वाहवाही की तुलना में आलोचना अधिक मिलती है। लेकिन जो लोग, ऐसे नेक इंसानों की आलोचना करने में लिप्त हैं, वे झूठे अहंकार से ग्रसित, अपने भीतर की गरीबी को उजागर करते हैं और इस रहस्य को नहीं समझ पाते कि अच्छा काम करने वाला इंसान, स्वयं को छिद्रान्वेषण प्रतिरोधक बनाकर ही ऐसे कार्यों का बीड़ा उठाता हैं। ऊपर वाले की असीम कृपा और कुछ निष्कपट, निर्मल ह्रदय चीयरलीडर्स ही उन्हें अंदर से समृद्ध बनाये रखते हैं। उनके व्यक्तित्व की आभा, बुद्धिमत्ता, सहनशीलता और गुरुता के साथ प्रदीप्तमान रहता है तथा लोगों में अक्सर प्रेरणा और सदभावना पैदा करने की क्षमता रखता है।
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मिथ्या प्रलपन में बहने वाले
नित्य वितण्डा करने वाले,
जो ज़ख्म नहीं है काया में
उसका उपचार बताने वाले!
तुम पू्र्वाग्रह से ग्रस्त चले,
खुद का साहित्य बना डाले
दृष्टिदोष की बैठ अंक में,
पुरखों को घातक कह डाले!
क्या हर दम हो दोष छाँटते,
जब देखो लोगों को बाँटते,
नहीं कभी खाई को पाटते,
फिर कहते हम तुमको डाँटते!
दुष्प्रवृत्तियों के बन्दी तुम, निज दोषों का भान करो,
छिद्रान्वेषण के आराधक, गुणवानों को सहा करो!
राग-द्वेष की तज कर मंशा, सुमति का आधान करो!
तन-मन-धन की निर्मलता से जन-मन को प्रस्थान करो!-
प्रिय बंधुवर! एक विकट समस्या है जिससे अधिकांश व्यक्ति ग्रसित हैं! इस समस्या से विरले लोग बचे हुए हैं!वह है दूसरों के बारे में तुरत राय कायम करना यानी दूसरों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना लेकिन अपने बारे में कुछ नहीं जानना और अपनी कमियों के बारे में कभी विचार नहीं करना!आप जीवन में सफलता चाहते हैं और तनावमुक्त रहना चाहते हैं तथा अपना आत्मबल,मनोबल बढ़ाना चाहते हैं तो इस प्रवृत्ति से बचें!
इस उद्देश्य से योग(ध्यान और प्राणायाम) अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है! प्रतिदिन कम-से-कम दस मिनट ध्यान और प्राणायाम जरूर करें! ज्ञातव्य है कि योग सिर्फ सनातन धर्म के लिए नहीं है बल्कि सभी धर्मों और समुदायों के कल्याण के लिए है !-