मुकाबिल की औकाद है क्या खुद मे देखना
बाद मे आकर हमसे मुकाबला करना....-
आज भी दिल उसी नुक्कड़ पे खड़ा है
जहाँ बोल कर गये थे तुम तेरी औकाद क्या है
-©सचिन यादव-
गिरना भी अच्छा है,
औकाद का पता चलता है ।
जरुरी हो जब हाथ उठाने को,
तो अपनों का पता चलता है ।। (O.P.)-
ये जो तुम अपनी औकाद भूले हो मेरी ही गलती रही
तुम्हे हद से ज्यादा भरोसे के लायक समझकर..!-
आप तो बड़े आदमी हो गए हैं जनाब,
जवाब तो यहीं हैं हमारे पास उनके लिए जो ऐसा कहते हैं,
हमें तो आप के मोहब्बत ने बड़ा बना दिया हैं जनाब,
वरना इस खासगार की औकाद तो आज भी अपनी जमीं की मिट्टी से भी कम हैं...।
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बस तब तक ही मौके देती हूँ,,
बोलने के भी और बाते भी करती हूँ,,
जब तक कोई हमे हमारे लगे
पर पराये मानने के बाद
मै मुडकर भी ना देखती हूँ,,
फीर कोई बजाये या मौत की चादर
मे खुद को भी लिपट ले,,👈💯-
समय
ये सिर्फ शब्द नही कितनों की औकाद बताता है,
ये अपनों का ऐहसास कराता है,
और बहुत कुछ है पर.....
(गलत नही लिखना चाहता हूँ)
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ऐ नादाँ बाप की दौलत से हर कोई अमीर लगता है,
है इतनी ही चुल तो,
तो छोड़ बाप की कमाई फिर बता कौन कितना गरीब लगता है।
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