ziyauddin mirzapuri   (Ziyauddin_mirzapuri)
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Joined 12 April 2020


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7 FEB 2022 AT 11:06

मुझे अपने दिल से न निकालो
मैं तुम्हारे बच्चों के किताबों में भी आ सकता हूँ
जो नज़्म मैंने लिखी है तुम्हारे लिए
वो मैं उन्हें भी याद करा सकता हूं

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31 DEC 2021 AT 23:21

नए साल का नया अहदनामा की
उसे भूल जाएंगे
अरे ! ये तो है एक झूठ पुराना की
उसे भूल जाएंगे

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26 OCT 2021 AT 22:28

ना घर वापसी की तलब है ,
ना परदेश मैं रहने की ख्वाहिश ,
अब कोई ऐसा पता बात दो ,
जहा ना हो कोई आज़माइश ।

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21 SEP 2021 AT 18:33

पाल रहा है तबीब के बच्चों को पूरा शहर,
हर रोज़ एक नई बीमारी पाल कर ।

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20 AUG 2021 AT 19:58

भीड़ का हिस्सा बनने मैं ना जाने क्या मज़ा है,
अपना किला बनाना क्या कोई सज़ा है ।
दुसरो की दुकानों की नकल करने मे कोई बात नही है,
अपनी नई दुकान सजाने मैं बहुत माज़ा है ।।

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13 AUG 2021 AT 16:56

आ 'ले रसूल से पूछो क्या है मोहर्रम का महीना
इनका घर लूट गया और लोगो ने कहा नया साल आ गया ।

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10 AUG 2021 AT 11:28

रोकने को हिचकियां पी गए पूरा सैलाब चंद घूटो मैं हम,
तेरी याद बेकाबू हो रही थी

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13 DEC 2020 AT 20:33

....

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24 NOV 2020 AT 23:25

बेवफाई हमारे खून में नही है ,
वफ़ा में हमे सुकून नही है ,
इतनी दफ़ा हमारे मुकद्दर के साथ यूँ खिलवाड़ हुआ है,
मोहब्बत तो क्या अब हमें दोस्ती भी किसी कि क़ुबूल नही है ।

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22 NOV 2020 AT 15:19

जिस पत्थर के आगे सर झुक जाए वो खुदा हो जाता है,
जिसे शिद्दत से चाह लो वो बेवफा हो जाता है ।

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