Zindgi   (Zindgi|मेरी कलम से....)
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Ex Navodayan...

Writer by heart...
Love to write....
Love to read....
Joined 2 December 2018


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8 APR 2021 AT 18:36

जिसे बेरुखी समझ तुम नफरत करने लगे हो हमसे,
वो दुनिया की बनाई कुछ दीवारें है।
नही जता सकते कि कितना प्यार है तुमसे,
बस मन में ही सोच लिया कि हम बस तुम्हारे है।।

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6 APR 2021 AT 14:31

कुछ वक्त दो मुझे भी
तुम्हारा होने के लिए,
मुस्कान देती है मौजूदगी
मेरी जिंदगी में तुम्हारी,
कुछ वक्त दो मुझे,
तुम्हारी मुस्कान बनने के लिए।।।

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5 APR 2021 AT 1:19

कुछ अधूरी हूं खुद में ही मैं,
और कुछ खुद को गुमनाम कर रखा हैं,
कुछ खो गईं हूं जिंदगी की गलियों में,
कुछ खुद को बदनाम कर रखा हैं।।।

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3 APR 2021 AT 22:22

आबशार और इश्क तेरा,
मैं भीग रही हूं,
मैं हर रोज़ संवर रही हूं,
शोर ए आब अब सुकून देता हैं,
मैं हर लम्हें थोड़ी और
तेरी ओर बढ़ रही हूं...

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2 APR 2021 AT 21:48

गुज़र जाएंगे लम्हें हमारे,
यूं तेरे इंतज़ार में तड़पना,
अब हमसे नहीं होता।।।

तू चाहे तो लौट आना,
जब भी दिल करे,
मगर तुझे बार बार बुलाना,
अब हमसे नहीं होता।।।

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1 APR 2021 AT 16:29

आंचल में अंजुम की, मैं चल रही हूं अकेली,
मुझे साथ मिल जाए, हाथों में हाथ मिल जाए,
कुछ फासले अगर कम हो जाए,
ज्यादा रज़ा नहीं मेरी
बस एक मुलाकात मिल जाए...
असीर हूं मै इश्क की आपके,
गुरूब ए आफताब और साथ में आप मिल जाए।।।

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23 MAR 2021 AT 10:38

वो वीर साहसी वो बलिदानी, वो देशप्रेम का
अमर उदाहरण,
वो अपने लिए कुछ सोचे नहीं, बस देशभक्ति रही
उनका करम,
सलाम उन वीरो की मां को, ऐसा पूत और
ऐसी हिम्मत उनकी,
जो लड़े हमेशा देश वास्ते, खून ने जिनके लिखी
किस्मत वतन कि।।।

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18 MAR 2021 AT 0:37

शायद एक हिस्सा मेरी
ज़िन्दगी का,
बस सवालों, जवाबों और समझाइशो में ही गुज़र जाएगा।।।

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16 MAR 2021 AT 13:47

अगर लगता है तुम्हे की हार जाऊंगी,
तुम्हे आज कल गलत शायद लगने लगा है,
यूं आंखों में फिर से ख्वाब है मेरे,
मेरा दिल फिर से संभलने लगा है,
तुम जिस राह पे ठुकरा कर गए थे मुझे,
मुझे उस लम्हें ने आगोश में लिया है,
समझदारी तुम्हारी काबिले तारीफ है मगर,
मालूम हुआ क्या तुम्हे की मेरा मन भी
आजकल समझने लगा है।।।

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15 MAR 2021 AT 17:42

वो पलके जब भी झुका करती है,
नज़रे उन नज़रों पर ठहर जाती है,
वो जब भी मुस्कुराकर देखे हमें,
चेहरे पे कशिश दे जाती है,
वो हाथ पकड़ती है मेरा,
मुझ पर अपनी मर्ज़ी चलाती हैं,
और बिन कहें वो मीलों दूर ही,
मेरी हर चाह समझ जाती है।।।

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