जनवरी हो या हो दिसम्बर
क्या फ़र्क़ पड़ता है
जिसे खुश रहना आता है
वो कब दिन, साल गिनता है
हमेशा से यही दुनिया है, दुनियावाले भी नहीं बदले
पुराने दोस्त हैं, तो क्या जहां ,बदले के ना बदले
किसी की भी बुराई हो ,कभी रुसवा नहीं करना
ज़हन मैं आईना रखना ,हवा बदले के ना बदले
नया एक और पन्ना जुड़ गया है ,ज़िंदगानी में
इसे कैसे सजाना है, मोहब्बत की सियाही से
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