zindagi   (naaz)
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True human
Joined 6 August 2021


True human
Joined 6 August 2021
24 APR AT 0:37

धीरे धीरे निगल रहा है
अजगर भाई चारे को
देश का गौरव चारों भाई
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
इस गौरव को अब तो बचाओ
भूल गए हो बेचारे को

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24 APR AT 0:25

मेरे घर के दरवाज़े हमेशा से खुले हैं
ना जाने कौन सी बला से कोई बचता हुआ आये
जला के अपने पड़ोसी की दुकान
क्या पता भूख से मरता हुआ आये
जो लड़ रहा है भाई से के तेरा खून हरा है
और मेरा केसरिया
वही अंधा यक़ीनन लाल से डरता हुआ आये

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23 APR AT 1:10

मशीन है, मशीन में जज़्बात कहाँ
ना रूह है ना खून है
वो सफ़ेद हो चुका
वो झूट का एक
रंग है जो रह गया इंसान में

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23 APR AT 1:02

ना कोई उम्मीद, ना कोई चाह
ना रास्ते का पता, ना मज़िल का
फिर भी हर रोज़ जी रहा है आदमी
मरना तो एक दिन है, सभी को
फिर भी हज़ार मौत, मर रहा है आदमी

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21 APR AT 23:52

ना जाने कौन सी ये राह है
बिलकुल अंधेरा है
नज़र हो या ना हो , बस नज़रों का धोखा है
जो रहबर थे वही
सब खो गए दुनिया के मेले में
खनक सिक्कों की भाती है
लुटेरों को
किसी के भी नहीं हैं ये
भरम ये पाल मत लेना
गला ये काटते हैं
पास आके प्यार से
ख़ुशियों के रेले में

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25 MAR AT 2:19

बड़े दिनों के बाद मिले हो तुम मुझको
पहले अपना पुराना हिसाब चुकाना है
दुनिया की बातें, फिर कभी भी कर लेंगे
अभी तो तुमसे रूठना मानना है
तुमको मेरे घर पर गुझियाँ लानी हैं
मुझे तुम्हारे लिये सिवयीं बनाना है

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26 JAN AT 14:00

एक लहू है, एक रूह है
एक ही है , गणतंत्र हमारा
एक ही भारत माता
आओ मिलकर क़सम उठायें
एक रहेंगे, नहीं झुकेंगे
देश की ख़ातिर मर मिटने का
एक है संकल्प हमारा

जय हिन्द , जय भारत

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19 JAN AT 22:28

हर बात का जवाब हो ये ज़रूरी नहीं
कुछ अधूरी कहानियाँ ही ठीक लगती हैं

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1 JAN AT 1:25

ख़ुदा से दुआ है नये साल में
सभी खुश रहें
हर एक हाल में
ज़माने में हर सू, स्याह रात है
चमकते रहें दिल नये साल में
सुबह- शाम रौशन हो
हँसते हुए
रहे कोई परेशान न
किसी हाल में

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31 DEC 2023 AT 18:03

जनवरी हो या हो दिसम्बर
क्या फ़र्क़ पड़ता है
जिसे खुश रहना आता है
वो कब दिन, साल गिनता है
हमेशा से यही दुनिया है, दुनियावाले भी नहीं बदले
पुराने दोस्त हैं, तो क्या जहां ,बदले के ना बदले
किसी की भी बुराई हो ,कभी रुसवा नहीं करना
ज़हन मैं आईना रखना ,हवा बदले के ना बदले
नया एक और पन्ना जुड़ गया है ,ज़िंदगानी में
इसे कैसे सजाना है, मोहब्बत की सियाही से


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