एक ही चीज हाथ आती है आखिर में
सपने या अपने
दोनों नही मिलते-
डरता हूँ मैं भर ना जाए घाव कहीं
मुझको तपती धूप चाहिए छाँव नहीं
मुझको ये मृदु पाश बांध ना पाएंगे
देह ताप से चूर चूर हो जायेंगे
मेरे रुकने को ना मेरी हार समझ
ठहरा हूँ मैं पर मुझमें ठहराव नहीं-
किसी शायर की जुवानी तो नहीं लगते हैं
छोटे किस्से हैं कहानी तो नहीं लगते हैं
वो बुलाते हैं जरूरत को समझ कर यारो
उनके जज्बात रूहानी तो नहीं लगते हैं-
अपनी आँखों की मस्ती और कहीं दिखलाओ
कहाँ इनमें कशिश जो मुझे लूट पायेंगी
बहुत से लोग कातिलाना इन्हें समझेंगे
बहुत लोगों को ये मासूम नज़र आयेंगी-
तुमको अता हो जमाने भर की खुशी ये दोस्त
मेरी तो शख़्सियत ऐसी है कि गम छू नहीं सकता-
जो मुकम्मल नहीं होता बहुत गहराता है वो इश्क़
बहुत कुछ डूबा देता है मगर जाहिर नहीं करता-
प्यार एक प्रक्रिया है जो
बिछड़ने के बाद शुरू होती है
साथ में बस जरूरतें पूरी होती हैं
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जिंदगी की हर उलझन सुलझाने वाला मैं
तेरे ब्लाउज की डोरियों में उलझ गया-
इतनी उम्मीद इश्क़ में रखना बेमानी है
कि उसका प्यार मिले और वो ता उम्र मिले-
खाने में कढ़ी पकोड़ा ना उसे पसंद है ना मुझे
जिंदगी भर साथ निभाने के लिए और क्या चाहिए-