कोशिशें कभी मत छोड़े , गुच्छे की आखिरी चाबी से भी ताला खुल सकता है...!!!
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Ziaul Haq Scriber
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Joined 28 September 2019
7 JAN 2022 AT 22:42
29 JUL 2021 AT 1:03
सच लिखा तो सच के बदले में ये ग़म बख़्शा गया।
उंगलियां काटी गईं और फिर क़लम बख़्शा गया।।-
22 JUL 2021 AT 22:49
बतौर पत्रकार आप लिखेंगे तो आपकी नौकरी चली जाएगी,
बतौर संस्थान आप लिखेंगे तो इनकम टैक्स का छापा पड़ जाएगा.-
26 JUN 2021 AT 17:30
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने समझौतों पे जीतें हैं कि मर जाते है।-
8 JUN 2021 AT 8:24
Journalism is a thanksless job
&
Stringer is a part of exploitation.-
29 MAY 2021 AT 0:38
शोहरत की बुलंदी तो पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है.-
24 MAY 2021 AT 23:08
“डर से बड़ा कोई वायरस नहीं,
हिम्मत से बड़ी कोई वैक्सीन नहीं है”-