सबक़-ए-ज़िंदगी
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एक बार खुद को खुद से मिला दिया हमनें,
तेरे दिए सारे दर्दों को मिटा दिया हमनें,
मोहब्बतों का सलीक़ा सिखा दिया हमनें,
तेरे बग़ैर भी जी कर दिखा दिया हमनें,
बिछड़ना मिलना तो क़िस्मत की बात है,
दुआएं दे तुझे शायर बना दिया हमनें,
जहां सजा के रखते थे तेरी हम तस्वीरें,
अब उस मकान को ताला लगा दिया हमनें,
जो तेरी याद दिलाता था चह चहाता था,
मुडेर से वो परिंदा उड़ा दिया हमनें ।।
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