साया तो बहुत है।
उजाले की कमी है।-
मसअले का मुझसे हल नहीं होता।
मेरे लिए कुछ भी अब सहल नहीं होता।
मैं बार बार ठोंकरें खाता रहता हूँ।
अफ़सोस फिर मुझे अक़्ल नहीं होता।
सफर सभी करते रहते हैं जहाँ मे।
लेकिन मेरे जैसा कोई पैदल नहीं होता।
हम भी खो जाते उन खुशियों मे तन्हा।
जिंदगी अगर गमों का जंगल नहीं होता।-
मैं अपने हरकतों से कभी बाज ना आया।
अपनों से क्या हमने गैरों से भी रिश्ता निभाया
मै खामोशी से सुना और मुस्कुरा भी दिया।
मौका जिसको भी मिला मेरा मजाक उड़ाया-
एक भीड़ का ही हिस्सा हूं मैं।
सुनो कहां लोगों से जुदा हूँ मैं।
मैं जिसके भी काम न आया।
आज उनके लिए बेवफा हूं मैं
कोई उम्मीद नहीं रखा किसी से।
हमेशा अपनों के साथ खड़ा हूं मैं।
क्यों कबूल नहीं करता अर्जी मेरी तन्हा।
तेरी मोहब्बत में कब से पड़ा हूं मैं।-
यहाँ बहुत हलचल भी नहीं है।
जिंदगी अपनी उदास भी नहीं है।
ऐसे तो कई दोस्त हैं हमारे।
मगर हम किसी के खास नहीं हैं।
हम भी आशिक थे किसी के।
हम मगर किसी के देवदास नहीं है।
सजा काट कर रेहा हो गए तन्हा।
अब जिंदगी में कोई वनवास नहीं ह।-
कोई मसला नहीं तेरा फिक्र है जाना।
जुबां पे हर घड़ी तेरा जिक्र है जाना।
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Behasaab ranzish h inhen
Mitaya na jayega.
Humse Bahut door jaa chuki h mohabbat bulaya na jayega.-
Dho raha hu abtak teri yadoon ko.
Na jane manzil tak kab pahunchunga.-
Raas aaya nhi shayad tujhe meri mohabbat ka tarika.
Isliye Koi tufaan samete huye khamosh ho gayi ho meri jaan.-
बस यही दिल को एक शिकायत रहेगी जिया।
न हम किसी के हो सके न हमारा कोई हो सका।
वक्त को सिर्फ काटे हैं हमने इधर उधर करके।
इश्क के सफर में हमारा न गुजारा हो सका।-