Zia Parveen Chishti   (Zia Parveen Chishti)
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Joined 2 October 2018


Joined 2 October 2018
11 OCT 2023 AT 20:30

जलने दो जलने वालों को,
अब हम सूरज बन जाएंगे।

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11 OCT 2023 AT 0:14

Taqabbur ho bhi to kis baat ka?
Na dhadkan apni, naahi saansei'n apni!

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3 FEB 2022 AT 2:02

उनके होने की एहमियत हमको
उनके चले जाने के बाद हुई।

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30 JAN 2022 AT 21:38

जाने वाले का कुछ नहीं जाता
बस कुछ लोग जीते जी मर जाते हैं।

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4 JAN 2022 AT 22:33

काश कि टूट के रो देने भर से
कुछ खोए हुए लोग वापस आ जाते..

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27 SEP 2021 AT 0:57

तुम कल भी थे तुम आज भी हो
कल बातें थी अब यादें हैं।

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3 SEP 2021 AT 20:33

तल्ख़ है पर हक़ीक़त है
जाने वाले लौट कर नहीं आते।

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29 AUG 2021 AT 15:45

इंसान ख़ुद पर हुए तमाम ज़ुल्म याद रखता है
मगर ख़ुद की ज़्यादतियाँ अक्सर भूल जाता है।

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23 AUG 2021 AT 1:06

रिश्ते तो रिश्ते होते हैं, बस
दूरियाँ-नज़दीकियां हैसियत तय करती है।

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9 AUG 2021 AT 20:11

अना और तकब्बुर वो दीमक हैं
जो रिश्तों को पूरी तरह खा जाते हैं।

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