अभी तो " ऐन" लिखा हैं
अभी तो " शीन " बाकी है
अभी ए " बिनते" हव्वा सुन
तेरी " तौहीन " बाकी है
अभी " लैला " से मिलना है
अभी " शीरीन " बाकी है
अभी तो हुस्न की " मण्डी" का
यारों ! " सीन " बाकी है
बड़े आशिक बने फिरते हैं
उन से ज़रा तुम पूछो
की गिनती हो गई पूरी
या ! दो एक , तीन बाकी है
अजब एक शोर है बरपा
मोहब्बत है, मोहब्बत है
नदीदे है ये क्या जाने
खुदा का दिन बाकी है
" दुआ " क्यों रंग लाए कि
अभी " अमीन " बाकी है
हैं "मंजनू" की सब बातें
कहीं " फरयाद " के किस्से
क्या दुनिया में बजाने को
यही एक " बीन " बाकी है
नई " तहज़ीब " पर तेरी
करुंगी " बहेस " लेकिन
अभी ये बात सुन ले तू
खुदा का " दीन " बाकी हैं
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