कि बेशक़ उनने किया इश्क़ में तबाह,
पर जो ना हुए तबाह तो वो इश्क़ भी कैसा..
कि ज़रूर उन आँसुओ को शिक़ायत हुई होगी उनसे,
पर जो ना हुई शिकायतें तो वो इश्क़ भी कैसा..
-
Prefers to be called as "Human" befor... read more
Thoughts, which were differentiated by mind,
you integrated into my heart..
-
चारों तरफ से घेरे गहरे काले बादलों के साये ने,
दिल को एक डर में सिमेट कर रख दिया..
हर ख़बर, हर फ़ोन कॉल,
दिल को धक से कर जाता है..
जहां लोग अपनों से मिलने हज़ारों मील सफ़र करके जाते थे,
आज वही, अपनों की सलामती के लिए घर में बैठे हैं..
डर है, ना जाने ये आने वाला वक़्त और क्या रूप दिखाए..
लेकिन दिल के किसी एक कोने में, इसी डर से सुकून भी है..
कि इस डर से ना जाने हम कितने लोग अपनों को सलामत रख पा रहे हैं..
हम इंसानों को शायद इन बीते लम्हों कि ख़ुशी की क़दर नहीं थी,
तभी जहाँ एक वक़्त में जिस खुशी में साथ बैठते थे,
चार यार घर-बार मिलकर..
आज वही खुशी रूठ कर मीलों दूर जा बैठी हो..
बस, थोड़ा नाराज़ है..
कुछ यूँ कि एक गहरी लंबी सुरंग के किसी छोर पर,
एक मद्धम रोशनी दिखा कर उम्मीद की किरण बन गयी हो..
और यूँ कहती हो.."बस दो क़दम और"-
ठंड से अकड़े हाथों में गरम चाय की प्याली पकड़ कर हथेली में आई उस हाथ की नरमी को महसूस किया है?
तुम्हारी मौजूदगी का एहसास भी कुछ इसी तरह है...
-
ऐ मग़रूर!
यूँ आसमाँ की ऊंचाइयों को देख खुद पर गुमाँ ना कर,
मत भूल कि इन ऊँचाइयों को सिर्फ़ ज़मीन से देखा जा सकता है...
-
फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना
मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा
~ अल्ताफ़ हुसैन हाली-
जो बैठे हम कभी इश्क़ की पश्चिमी मुंडेर पर,
सूरज ने भी उस दिशा ढलने से मन बदल लिया...
-
दुश्मनी के लिहाज़ से दुश्मनों के तीन दर्जे होते हैं,
दुश्मन, जानी दुश्मन और रिश्तेदार..
~मुश्ताक़ अहमद युसूफ़ी-