नज़रें झुकी हुई हैं दीदार -ए -यार में,
ज़रा आते वक़्त मेरे हिस्से की मोहब्बत लेते आना।-
ये तन्हाई,
और हम!!✍️
सर्द की एक शाम थी
मौसम था गुलज़ार
अचानक हवा का एक झोंका आया
आंख उठी तो सामने उसको पाया
मानो वक़्त रुक सा गया
हवाएं थम सी गईं
लफ्ज़ों से बयां ना हो पाए
खूबसूरती उस जज़्बात की
दास्तां क्या सुनाऊ ,बातिन के हालात की
वो गौहर सी आंखें
फिजाओं में लहराते बाल
वो सूट गुलाबी
और सादगी बेमिसाल
इस दिल को अब कैसे समझाऊं यार?
इन खयालों को कैसे दफनाऊं यार?
ना चाहते हुए भी
शायद हो ही गया पहली नज़र वाला प्यार।
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कहनी थी तुमसे
गर वक्त हो तो थम जाना,
कोशिश करूंगी जज़्बात बयां करने के,
जो न कर पाई,
तो महज़ एक बार,
बस एक बार नज़रे मिलाना
और आंखें समझ जाना!
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ये शहर जहां सब अपने में मशरूफ हैं,
कोई तो होगा शायद,
मेरा हाल पूछने वाला!!-
कुछ इस क़दर हम तुममें खो जाएंगे,
एक कप चाय तो पिलाओ यार!
हम तुम्हारे ही हो जायेंगे!🍂
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Falling for looks is so overrated these days;
I want someone to fall for my voice,my senseless talks,my silly jokes,my energy,my presence,my SOUL.-
बात बाकी थी,
पर तुम्हे रोका नहीं,
कुछ इस कदर कीमती था
यूं हंसना तुम्हारा!-
दर्द का आलम अब क्या ही बताए,
हमारे इज़हार को इनकार करने के बाद
पूछते है वो हमसे
"अब आगे का क्या इरादा है?"
हमने भी कह दिया
" मोहब्बत थी आपसे, हां अब और ज़्यादा है!"-