हमारे बीच बन्धनों का कोई पैमाना न था..,
सब खुले आसमान की तरह साफ था..;
जब जिसका जहाँ भी दिल चाहे,
उसे वहाँ उड़ जाने का हक़ था..,
न सवालों का कटघरे जैसा घेरा था..,
न जवाबों का गरजता बादल था..,
एक पिंजरे में कैद होने से पहले ही ये सब तय हुआ था..,
उड़ जाने के बाद लौट के आने का हक़ हम में से किसी को न था,
हमारे पास पंख थे, उड़ने को जहाँ था...,
आजाद हो कि भी हमारे बीच सब क़ैद था..!
-