Zari Khan   (Zari khan)
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Joined 15 April 2021


Joined 15 April 2021
12 HOURS AGO

तेरी मौजूदगी मेरे सांसों में बसी है
तेरे होने का एहसास मेरे रोम रोम में है

मेरे ख़्वाबों ख्यालों में तुम ही तुम हो
तेरे सांसों की खनक मेरे तन मन में है

तेरी परछाई से भी हम प्यार करते है
तेरी रहो में भी प्यार के दीप जलाते हैं

तुम्हे न देखूं मुझे चैन आता नहीं है
तेरे बिना मुझे कुछ और भाता नहीं है

तेरी ज़रूरत मेरी ज़िंदगी में बहुत अहम है
तू है तो मुझे दुनिया की सारी खुशी मिली है

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14 HOURS AGO

जिसे दर्द सहना आ गया
उसे जीना आ गया
उसकी आवाज़ में
खामोशी आ जाती है
उसकी खामोशी की आवाज़
में अंतर मन में गूंजती है
और अंदर ही अंदर
परेशान करती है
एक मन उसे झिंझोड़ता है
दूसरा उसे खामोश करा देता है
फिर से वो अपनी ज़िंदगी में रम जाता है

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YESTERDAY AT 21:33

तुम हो साथ तो बेफिक्र से दिन-रात है
तेरे बाहों के सहारे ज़िंदगी में बहार है

तुझी से मेरा सवेरा तुझी से मेरी शाम है
मेरी ज़िंदगी की खुशियां तुम्ही से बरकार है

मेरे गले का मंगल सूत्र तेरे होने से ही है
मेरे माथे की बिंदिया मेरा सिंदूर तुम्ही है

मेरी ज़िंदगी में तुम्हारे सिवा कोई दूजा नहीं है
तुम्ही से मेरा वजूद तुम्हीं से खत्म कहानी है

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YESTERDAY AT 15:03

चलो जल्दी चलते है आज मेरे दोस्त की अनिवरसरी है देर नहीं करना है कही बुके सुख न जाए

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YESTERDAY AT 11:25

ज़िंदगी के सफ़र में चलते चले गए
हमनशी की चाह दिल में लिए चले गए

वक़्त का पता नहीं वक़्त बीतते चले गए
हमारा प्यार हमसे दूर छुटते चले गए

ख़वाब आंखों में जो बसाए तैरते चले गए
तैरना हमे आया नहीं हम डूबते चले गए

आरज़ू थी हमसफर की जो अधूरी रह गई
तन्हा पहले भी तन्हा अब भी अकेले रह गए

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12 MAY AT 21:03

अगर गुनाहों का एहसास है
तो गुनाहों का प्रायश्चित भी है
किया गया गुनाह गुनाह ही रहेगा
प्रायश्चित करने से गुनाह धूल नहीं जाता
बल्कि थोड़ा सा मन शांत हो जाएगा
सामने वाले को थोड़ा सब्र आ जाएगा

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12 MAY AT 17:19

सात रंग का इन्द्रधनुष
आसमान पर रौनक लाता है
इन्द्रधनुष की रौनक देखने
को सब मचलते है

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12 MAY AT 17:10

हम भूल गए है
तुम्हे ऐसा लगता है
हम तो तुम्हारे ख्यालों
में भी ख्याल रखते हैं
दिल से प्यार करते है
तुम्हारे बिना जीना मुझे
अच्छा नहीं लगता है
बस कुछ दिनों की बात
फिर साथ ही रहना है

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11 MAY AT 19:46

जब नदी पर जा कर देखूं मुझ को नज़र आए चांद
छूने को दिल ललचाए मुझ को पास बुलाए चांद

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11 MAY AT 19:42

मां उक़ूबत में भी ममता लुटाती है
मां अपने हर उक़ूबत को छुपा लेती है

मां की ममता का कोई मोल नहीं है
मां अपना परिवार समेट के रखती है

मां के आंचल में सुकून ही सुकून होता है
मां के होने से घर में खुशियां बनी रहती है

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