इन्सानियत आये दिन अब शर्मशार हो रही है
इसलिए कुदरती आफात की भरमार हो रही है-
ज़िन्दगी के हर इक मोड़ पर,इन्हीं को अपना साथ... read more
जब भी मेरी रूह मेरे जिस्म से जुदा हो
ऐ मेरे रब उसमें तेरी रज़ा शामिल हो
मेरे दिल को तू सदा सलामत रखना
ताकि दिल में मेरे एक मीठा सुकून हो
तू मुझे सदा अपनी ही पनाह में रखना
गर मेरे दिल में कोई भी खौफ पैदा हो
मेरे दिल में सदा तू अपना ज़िक्र रखना
और बस तू ही मेरे सबसे करीबतर हो
मेरे ईमान की ताउम्र तू हिफाज़त करना
यहाँ से जब जाऊँ ,तो ये सही सालिम हो
जब भी मेरी रूह मेरे जिस्म से जुदा हो
ऐ मेरे रब उसमें तेरी रज़ा शामिल हो-
अजीब हाल है
इस वीरान दिल की बस्ती का
अपने भी यहाँ
अजनबी से लगते हैं-
कोई तो खास होता जो मेरे पास होता
मेरे इस बैचेन दिल का वो करार होता
अगर रूठता मुझसे तो वो मान जाता
मेरी शरारतों का कोई क़द्रदान होता
अगर ठोकर से कहीं मेरे क़दम डगमगाते
अपने हाथों के सहारे वो मुझे थाम लेता
अगर उलझती कहीं मैं वो सुलझा भी देता
कोई तो साथी ऐसा मेरा हमसफर होता
अगर झुलसती धूप में परेशान खड़ी होती
अपने साये से वो मुझे ठंडा सुकून देता
कोई तो खास होता जो मेरे पास होता
मेरे इस बैचेन दिल का वो करार होता-
कभी कभी चाहतों के बावजूद दूरियाँ आ जाती है
हम नाराज नहीं होते, बस मजबूरियाँ आ जाती है-
ऐ बन्दे ! खुद को खुश रखना भी शुक्रगुज़ारी है
अल्लाह ने बेशुमार नेमतें तेरे लिये ही उतारी है-
यह देख कैसे रोक लूं आँसू, मेरा दिल रोता है
जब किसी ग़रीब का बच्चा, इस तरह रोता है-
मेरा यह दिल कहाँ अटक गया है
इस फानी दुनिया में भटक गया है
जहाँ उरूज़ और फिर ज़वाल है
यही इस ज़िन्दगी की मिसाल है-
कुछ लोग मोहब्बत नहीं सिर्फ नफ़रतें फैलाते हैं
और बदग़ुमान होकर दूसरों पर तोहमतें लगाते हैं-