Yuvraj Singh   (Yuvraj Singh)
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Writer
Joined 23 December 2017


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Joined 23 December 2017
22 AUG 2021 AT 9:47

बचपन की नादानियाँ और जवानी की खामोशी के बीच...
यह रिश्ता हमेशा चहचहाता है...
दुनिया में सबसे प्यारा बंधन भाई-बहन का कहलाता है..
प्यारी सी राखी कलाई में बाध ,बेहन लाखो दुआएं देती है...
भाई भी उसकी खुशियों की रक्षा का वादा करता है।

तभी तो यह पावन पर्व रक्षाबंधन कहलाता है 🌱

हैप्पी रक्षाबंधन!

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19 AUG 2021 AT 21:15

जिंदगी की उथल-पुथल मे,
फुर्सत के दो पल... अपने से मिला करे..
कुछ अपनी उसे सुना,कुछ उसकी सुना करें..
उलझनो का बादल शायद छठ जाए...
पर कभी अपने दिल की आवाज़ भी सुन लिया करे।

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19 AUG 2021 AT 20:02

छोटी सी जिंदगी ..
सपने बड़े- बड़े...
करना है बहुत कुछ...
करे तो क्या करे?

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16 AUG 2021 AT 22:23

तेरा रूठ जाना, फिर तुझको मनाना,
कभी प्यार से और न मानो तो गुदगुदी करके हसाना,
मुझे खुश रखने के लिए ... कभी तुम मुस्कुराना भूल जाती हो,
मुझे सामने पाते ही...खुश हो जाती हो,

अब तो तेरी हंसी से 🌅 सवेरा
और तेरी खुशी... जिंदगी है मेरी।

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14 AUG 2021 AT 17:23

हम वो है जो हम बार-बार करते है
(आदत)
हमारी आदते ही हमे परिभाषित करती है।

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14 AUG 2021 AT 15:02

क्यों हम सिर्फ तस्वीरों में हंसते हुवे दिखना चाहते हैं?
क्यों हम दुनिया के लिए कुछ ,अपने लिए कुछ होना चाहते हैं?
क्यों हम,क्या कहेंगे लोग? का रोग पाले बैठे हैं?
क्यों परिंदों को पिजड़ों में ?और ख्वाहिशों को मन में गुलाम किए बैठे हैं ?
आजादी का पर्व मना... हर दिन मना,
क्योंकि हम आजादी का झंडा 15 अगस्त 1947 में लहरा के बैठे हैं।
आजादी का पर्व 15 अगस्त 2021 सभी को मुबारक 🌱 जय हिंद 🌱

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14 AUG 2021 AT 8:13

दिल को मत अनसुना करो,
जो कहता वो,सुना करो...
खामोश ख्वाहिशें ...भटक रही है,
दुनियादारी के रास्तों में,
कहां जाने का दिल है तेरा ?
कभी इस दिल की भी सुना करो....

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12 AUG 2021 AT 22:45

रुका हुआ पानी ...बासी हो जाता है,
चलता हुआ पानी... ताजा होता है,
जीवन चलने का नाम है ...रुकने का नहीं,
तभी इसमे ताजगी बनी रहती है।
(कठोर मेहनत नहीं... निरंतर मेहनत सफलता देती हैं)

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4 AUG 2021 AT 0:26

पल दो पल का नहीं,
जन्मो जन्मो का साथ है तेरा और मेरा।

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29 JUL 2021 AT 22:54

जब अंधेरा होने लगता है,तो हम घबराते नहीं,
क्योंकि हमें पता होता है,
इसके बाद एक नया सवेरा होगा और हर तरफ उजाला फैलेगा!
तो फिर जीवन में दुख होने पर निराशा क्यों?

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