मुझे मारा गया अंदर से मेरे
मेरे अंदर बग़ावत हो रही है
यहां ईमान बेचे जा रहे हैं
अदा किसकी ये सुन्नत हो रही है
लकीरों पर लकीरें खींचते हम
समझते हैं कि जिद्दत हो रही है
हटा लो फूल सब, कांटे बिछा दो
मुझे चलने में दिक्कत हो रही है
ये होंठों पर तबस्सुम, साथ चलना
समझ लीजे मुरव्वत हो रही है
कुछ अफ़सुर्दा कभी बेज़ार रहना
बस ऐसी ही तबीअत हो रही है
समझ सको तो समझो....।
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