अब जब आ ही गयी हो, तो अपने जाने की वजह , भी बता जाओ, कब से खुद को , कोसे जा रहा हूँ। अब तो खुद के जाने , की वजह बता जाओ। अब और नही सहा जाता, खुद को देने के लिए गालियाँ , भी खत्म हो चुकी हैं।
तेरा साथ छूटा तो छूटा, पर मेरा एक-एक सपना टूटा, जो धागा दोस्ती के वास्ते, बांधा था कभी कलाई पे तेरी, वो टूटा तो टूटा, यादों का एक-एक लम्हा, आंखों से छूटा।