YqVenktesh Pandey   (Venktesh Pandey)
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~No interested in bio, just a learner. ✍🏻
Joined 1 April 2018


~No interested in bio, just a learner. ✍🏻
Joined 1 April 2018
4 SEP 2021 AT 15:31

Freedom for her was defined within the four walls.
She was caged within a moratorium shawl.
She endeavored to escape, but didn't find an open hall.
Her wings of imagination were chopped.
Hands were tied with uninmaginary rope.
Adjoined even by kins, she was completely psyche-alone.
Inside her, there was a gust of silent storm.

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4 SEP 2021 AT 15:24

What is her fault?
When she wants to be a warrior.
What is her fault?
When she sees beyond the barriers.

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3 SEP 2021 AT 15:28

घायल तो यहाँ हर इक परिंदा है,
मगर जो उड़ सका वही जिंदा है।
कुतरे तो अरमान और पंख भी गए.
लेकिन हौसलों की उड़ान जिंदा है ।

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30 DEC 2020 AT 14:33

Maturity is that bug which chews many happiest reasons from your life.

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4 SEP 2021 AT 15:12

I don't know how to confess.
But you are light in darkness.
You are night.
I'm your brightest light.
You are my Sun.
I'm your sunlight.
You are my Moon.
I'm your twilight.
If you are the brightest star.
I'm the only star in an eclipse night.
If you are the topper.
I'll try to be bright.
Sometimes you will be right, and sometimes I'll be right.
Stupid are the things on which we fight.

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3 SEP 2021 AT 19:22

चल अब दिखा दिया जाए,
थोड़ा शोर मचा दिया जाए,
ज़माने को कुछ बता दिया जाए,
हौसलो का दास्तां सुना दिया जाए |

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3 SEP 2021 AT 9:30

आज मौसम कुछ खिल रहा है,
सह तुम्हारी कमी खल रही है ।
जैसे ये गुनगुनाते पत्ते,
हमारी गुफ्त-गु याद है दिलाते ।
ये घने बादल, हिरे आभूषण स्वरूप अंकित,
बुलाते है जैसे तुम्हारे ही हो रूपचित्र ।
ये टिमटिमाती हुई बुदाँ बुंदी,
कतरे-कतरे सी यूं नुर की चाँदी,
मिट्टी की ये इत्रफ़रोश महक जैसे हो तुम्हारा तन,
चाँदनी सी तुम्हारी हंसी,
ये खानाबदोश परिंदे सा मेरा मन ।
ये तुम्हारे मधुर आवाज को दर्शाते है,
मिलने को तरसाते है, तुम्हारी आहट दिलाते है ।
ये तरंगे सी हवाएं, दिल छु कर जाए,
न जाने क्यों तुम्हारी ही याद दिलाए ।

आज प्रकृति में क्यो है इतनी नवाजिश,
कुदरत की ये कैसी है साजिश ?
है सौंदर्य की ये अजिब प्रतिभा,
मैं तो दोनो से मंत्रमुग्ध- दिलकश हो चुका ।
अब तो बारिश वाले पकौड़े में भी है नमी,
आज चाय भी फीकी सी लगी,
क्योंकि सिर्फ तुम्हारी है कमी.....

ये मेरा मिजाज है ? या मौसम में ही कुछ राज है !?!

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2 SEP 2021 AT 20:52

इश्क के भँवर में, उमड़ते समंदर के गहरे आसमां के नाम
एक मर्ज़ है, एक मलहम है , एक कर्ज है...
युँ दो पल की जिंदगी में, हँसते-हँसते दे दिया खुद के खुशी का बलिदान,
माँ ने जन्म दिया, उन्होंने दी अपनी पहचान और ज़िंदगी कर दी हमारे नाम।
चलो उन वालिदों के राज खोलते है, हम भी कुछ बालते हैं....

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2 SEP 2021 AT 17:38

बैखोफ, बुलंद आवाज है माँ,
प्रेम-प्रसंग की राग है माँ,
उपवन की सुंदर पुष्प है माँ,
धूप में सुलगती बाष्प है माँ,
निर्झर नदियों की प्रवाह है माँ,
अद्भुत रचनाओं में वाह है माँ,
बंजर भूमि की शस्य है माँ,
उपजाऊ जमीन की कुश है माँ,
बेखौफ निडर अभिमान है माँ,
स्नेहरूपी मान है माँ,
बारिश सी शीतल है माँ ,
झरनों सी हलचल है माँ,
जीवन की जननी है माँ,
विश्व की कहानी है माँ,
संघर्ष पथ की क्षत्राणी है माँ,
त्याग के मूरत की परिभाषा है माँ,
मेहनत की वार्ता है माँ,
फिर ये दुनिया क्यों पूछे की कौन है माँ!?
नित्य प्रश्न की उत्तर है माँ?
कर ले स्वीकार इस सृष्टि का यथार्थ है माँ,
पुरी दुनियाँ की स्वार्थ है माँ |

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2 SEP 2021 AT 6:34

It doesn't matter much.
Whether you were mistaken or I.
Because you are mine.
The relationship is ours.

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