3 MAY 2019 AT 12:48

'जाकी रही भावना जैसी'
आज बात बिरह के साहित्य पर

नागिन बैठी राह में, बिरहन पहुँची आय
नागिन डर पीछे भई, कहीं बिरहन डस न जाय

- श्रीलाल शुक्ल