1 DEC 2018 AT 18:06

इहाँ कुम्हड़बतिया कोऊ नाहीं,
जे तर्जनी देखि मर जाहीं

(तुलसीदास)

हमहूँ कहब अब ठकुरसोहाती,
नाहीं तौ मौन रहब दिन राती

(सूरदास)

- श्रीलाल शुक्ल